पढ़त गुनत रोगी भया बढ़ा बहुत अभिमान हिंदी मीनिंग Padhat Gunat Rogi Bhaya Meaning
पढ़त गुनत रोगी भया, बढ़ा बहुत अभिमान,
भीतर तप जु जगत का, घड़ी ना परती सान।
Padhat Gunat Gori Bhaya, Badha Bahut Abhiman,
Bheetar Tap Ju Jagat Ka, Ghadi Na Parati San.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब ने इस दोहे में कहा है की पढ़ते और गुनते वह रोगी हो गया और उसका अभिमान बहुत अधिक बढ़ गया है। पढ़ते विचारते लोग रोगी हो जाते है। मन में अभिमान भी बहुत बढ़ जाता है। लेकिन मन के भीतर सांसारिक बिषयों का ताप एक क्षण को भी शांति नहीं होती है और मन अशांत बना रहता है। इस दोहे का भाव है की किताबी ज्ञान से ना तो इश्वर की प्राप्ति की भक्ति हाथ लगेगी और ना ही व्यक्ति को मानसिक शान्ति ही प्राप्त होगी. किताबी ज्ञान अहंकार और भ्रम की स्थिति को पैदा करता है. वह स्वंय को श्रेष्ठ मानने का दंभ पैदा करता है, इसलिए हमें हृदय से ज्ञान को स्वंय में समाहित करना चाहिए और शुद्ध हृदय से / चित्त से प्रभु के नाम का सुमिरन करना चाहिए.
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