जिहिं घरि साध न पूजि हरि की सेवा नाहिं हिंदी मीनिंग

जिहिं घरि साध न पूजि हरि की सेवा नाहिं हिंदी मीनिंग Jihi Ghari Sadh Na Puji Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

जिहिं घरि साध न पूजि, हरि की सेवा नाहिं।
ते घर मड़हट सारंषे, भूत बसै तिन माहिं॥
 
Jihi Ghari Sadh Na Puji, Hari Ki Seva Nahi,
Te Ghar Madhat Sarakhe, Bhoot Base Tin Mahi.
 
जिहिं घरि साध न पूजि हरि की सेवा नाहिं हिंदी मीनिंग Jihi Ghari Sadh Na Puji Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं कि जिस घर में ईश्वर की भक्ति और साधुओं का सम्मान नहीं होता है, वह घर मरघट / शमशान के जैसा ही होता है। उस घर में भूतों का वास होता है। अर्थात प्रत्येक सदगृहस्थ को अपने घर में साधुओं की सेवा और ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए और अपने आस पास भक्तिमय वातावरण को बनाना चाहिए। 

In this couplet, Kabir Sahib conveys that a home where there is no devotion to the Divine and no respect for saints is akin to a cremation ground. Such a home is inhabited by ghosts. Therefore, every householder should serve saints and engage in devotion to the Divine in their home, creating a spiritually enriching environment around them.

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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