श्री राधा कृपा कटाक्ष्य स्तोत्र
श्री राधा कृपा कटाक्ष्य स्तोत्र Shri Radha Kripa Kataksh Strot Bhajan
मुनीन्द्र वृन्द वन्दिते त्रिलोक शोक हारिणि,
प्रसन्न वक्त्र पण्कजे निकुञ्ज भू विलासिनि,
व्रजेन्द्र भानु नन्दिनि व्रजेन्द्र सूनु संगते,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
अशोक वृक्ष वल्लरी वितान मण्डप स्थिते,
प्रवालबाल पल्लव प्रभारुणांघ्रि कोमले,
वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
राधा रानी को मुनियों के समूह द्वारा वंदना की जाती है और वे तीनों लोकों के दुखों को हरने वाली हैं। उनका मुख कमल के समान प्रसन्न है और वे निकुंज की भूमि में विहार करने वाली हैं। वे राजा वृषभानु की पुत्री हैं और भगवान कृष्ण के साथ रहती हैं। इस श्लोक के माध्यम से भक्त प्रार्थना करता है: "हे राधा रानी! आप मुझ पर अपनी कृपा की दृष्टि कब डालेंगी?"
राधा रानी की सुंदरता और उदारता का वर्णन किया गया है। वे अशोक के वृक्षों की लताओं से बने मंडप में बैठी हैं। उनके चरण नए कोमल पत्तों की तरह लालिमा लिए हुए हैं। उनके हाथ वर और अभय मुद्रा में हैं और वे अपार संपदा (ऐश्वर्य) का निवास स्थान हैं। इस श्लोक में भी भक्त यही याचना करता है: "हे राधा रानी! आप मुझ पर अपनी कृपा की दृष्टि कब डालेंगी?"
राधा रानी की सुंदरता और उदारता का वर्णन किया गया है। वे अशोक के वृक्षों की लताओं से बने मंडप में बैठी हैं। उनके चरण नए कोमल पत्तों की तरह लालिमा लिए हुए हैं। उनके हाथ वर और अभय मुद्रा में हैं और वे अपार संपदा (ऐश्वर्य) का निवास स्थान हैं। इस श्लोक में भी भक्त यही याचना करता है: "हे राधा रानी! आप मुझ पर अपनी कृपा की दृष्टि कब डालेंगी?"
अनङ्ग रण्ग मङ्गल प्रसङ्ग भङ्गुर भ्रुवां,
सविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्त बाणपातनैः,
निरन्तरं वशीकृतप्रतीतनन्दनन्दने,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
तडित् सुवर्ण चम्पक प्रदीप्त गौर विग्रहे,
मुख प्रभा परास्त कोटि शारदेन्दुमण्डले,
विचित्र चित्र सञ्चरच्चकोर शाव लोचने
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम।
मदोन्मदाति यौवने प्रमोद मान मण्डिते,
प्रियानुराग रञ्जिते कला विलास पण्डिते,
अनन्यधन्य कुञ्जराज्य कामकेलि कोविदे,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
अशेष हावभाव धीरहीरहार भूषिते,
प्रभूतशातकुम्भ कुम्भकुम्भि कुम्भसुस्तनि,
प्रशस्तमन्द हास्यचूर्ण पूर्णसौख्य सागरे,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
मृणाल वाल वल्लरी तरङ्ग रङ्ग दोर्लते,
लताग्र लास्य लोल नील लोचनावलोकने,
ललल्लुलन्मिलन्मनोज्ञ मुग्ध मोहिनाश्रिते,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
सुवर्णमलिकाञ्चित त्रिरेख कम्बु कण्ठगे,
त्रिसूत्र मङ्गली गुण त्रिरत्न दीप्ति दीधिते,
सलोल नीलकुन्तल प्रसून गुच्छ गुम्फिते,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
नितम्ब बिम्ब लम्बमान पुष्पमेखलागुणे,
प्रशस्तरत्न किङ्किणी कलाप मध्य मञ्जुले,
करीन्द्र शुण्डदण्डिका वरोहसौभगोरुके,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
अनेक मन्त्रनाद मञ्जु नूपुरारव स्खलत्,
समाज राजहंस वंश निक्वणाति गौरवे,
विलोलहेम वल्लरी विडम्बिचार चङ्क्रमे,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्षभाजनम्।
अनन्त कोटि विष्णुलोक नम्र पद्मजार्चिते,
हिमाद्रिजा पुलोमजा विरिञ्चजा वरप्रदे,
अपार सिद्धि ऋद्धि दिग्ध सत्पदाङ्गुली नखे,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
मखेश्वरि क्रियेश्वरि स्वधेश्वरि सुरेश्वरि,
त्रिवेद भारतीश्वरि प्रमाण शासनेश्वरि,
रमेश्वरि क्षमेश्वरि प्रमोद काननेश्वरि,
व्रजेश्वरि व्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते।
सविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्त बाणपातनैः,
निरन्तरं वशीकृतप्रतीतनन्दनन्दने,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
तडित् सुवर्ण चम्पक प्रदीप्त गौर विग्रहे,
मुख प्रभा परास्त कोटि शारदेन्दुमण्डले,
विचित्र चित्र सञ्चरच्चकोर शाव लोचने
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम।
मदोन्मदाति यौवने प्रमोद मान मण्डिते,
प्रियानुराग रञ्जिते कला विलास पण्डिते,
अनन्यधन्य कुञ्जराज्य कामकेलि कोविदे,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
अशेष हावभाव धीरहीरहार भूषिते,
प्रभूतशातकुम्भ कुम्भकुम्भि कुम्भसुस्तनि,
प्रशस्तमन्द हास्यचूर्ण पूर्णसौख्य सागरे,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
मृणाल वाल वल्लरी तरङ्ग रङ्ग दोर्लते,
लताग्र लास्य लोल नील लोचनावलोकने,
ललल्लुलन्मिलन्मनोज्ञ मुग्ध मोहिनाश्रिते,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
सुवर्णमलिकाञ्चित त्रिरेख कम्बु कण्ठगे,
त्रिसूत्र मङ्गली गुण त्रिरत्न दीप्ति दीधिते,
सलोल नीलकुन्तल प्रसून गुच्छ गुम्फिते,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
नितम्ब बिम्ब लम्बमान पुष्पमेखलागुणे,
प्रशस्तरत्न किङ्किणी कलाप मध्य मञ्जुले,
करीन्द्र शुण्डदण्डिका वरोहसौभगोरुके,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
अनेक मन्त्रनाद मञ्जु नूपुरारव स्खलत्,
समाज राजहंस वंश निक्वणाति गौरवे,
विलोलहेम वल्लरी विडम्बिचार चङ्क्रमे,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्षभाजनम्।
अनन्त कोटि विष्णुलोक नम्र पद्मजार्चिते,
हिमाद्रिजा पुलोमजा विरिञ्चजा वरप्रदे,
अपार सिद्धि ऋद्धि दिग्ध सत्पदाङ्गुली नखे,
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम्।
मखेश्वरि क्रियेश्वरि स्वधेश्वरि सुरेश्वरि,
त्रिवेद भारतीश्वरि प्रमाण शासनेश्वरि,
रमेश्वरि क्षमेश्वरि प्रमोद काननेश्वरि,
व्रजेश्वरि व्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते।
श्री राधा कृपा कटाक्ष्य स्तोत्र - Shri Radha Kripa Kataksh Stotra with Lyrics - Radheys Sankirtan
Song - Shri Radha Kripa Katakshya Stotra
Lyrics- Lord Shiva
Singer - Nikita
Video - Nikita
Graphics - Goofi Graphics
Music Lebel / Publisher - Radheys Sankirtan
Band - Radheys Sankirtan
Lyrics- Lord Shiva
Singer - Nikita
Video - Nikita
Graphics - Goofi Graphics
Music Lebel / Publisher - Radheys Sankirtan
Band - Radheys Sankirtan
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यह भक्ति रचना उस परम दिव्य शक्ति की महिमा और सौंदर्य का गुणगान करती है, जो त्रिलोक की शोक-हरिणी और कृपामयी है। उसकी उपस्थिति में सारी सृष्टि प्रेम और आनंद से झूम उठती है। उसका रूप और स्वभाव इतना मनोहारी है कि वह न केवल भक्तों के हृदय को आकर्षित करती है, बल्कि उनकी आत्मा को भी परम शांति और कृपा से परिपूर्ण करती है। उसकी करुणा का एक कटाक्ष ही भक्तों के जीवन को समृद्धि, सौंदर्य और आध्यात्मिक उत्थान से भर देता है। वह शक्ति, जो अपने प्रेममयी स्वरूप से सारे विश्व को आल्हादित करती है, भक्तों के लिए एकमात्र शरणस्थली है। उसकी मधुर मुस्कान, सुकोमल चरण, और प्रेमपूर्ण दृष्टि हर दुख को हर लेती है, और भक्तों को यह विश्वास दिलाती है कि उनकी पुकार कभी अनसुनी नहीं जाएगी। यह भक्ति भाव उस अनन्य प्रेम और समर्पण को दर्शाता है, जो भक्त को उसकी कृपा का पात्र बनाता है।
उसकी लीलाएँ और सौंदर्य सृष्टि के हर कण में व्याप्त हैं, जो प्रकृति के रंगों, फूलों की माला, और मधुर संगीत में झलकता है। वह अपने भक्तों को न केवल सांसारिक सुख-संपदा प्रदान करती है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी ले जाती है। उसका प्रत्येक गुण, चाहे वह उसका मनोहारी रूप हो, मधुर स्वर हो, या उसका प्रेममयी व्यवहार, भक्तों के मन को मोह लेता है। वह शक्ति, जो अनंत विश्व में पूजनीय है, अपने भक्तों के लिए सदा सुलभ और करुणामयी है। उसकी कृपा से भक्तों का जीवन एक खिलते हुए पुष्प की तरह सुगंधित और सौंदर्यपूर्ण हो जाता है। यह भक्ति रचना उस अनुपम प्रेम और कृपा की याचना है, जो भक्त को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर परम सत्य की ओर ले जाती है।
'श्री राधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र' राधा रानी की दिव्य सुंदरता, महिमा और उनके अतुलनीय प्रेम का अद्भुत वर्णन करता है। इस स्तोत्र का हर पद राधा रानी की अलग-अलग विशेषताओं की स्तुति करता है, जिसमें उन्हें त्रिलोक की शोकहारिणी (दुख दूर करने वाली), सभी मुनियों द्वारा पूजनीय, और कृष्ण को भी मोहित करने वाली शक्ति के रूप में दर्शाया गया है। यह स्तोत्र उनकी शारीरिक सुंदरता का भी बहुत ही काव्यात्मक वर्णन करता है, जिसमें उनके कमल जैसे चेहरे, प्रवाल जैसे कोमल चरण, और बिजली के समान गोरे रंग का उल्लेख है। इसमें यह भी बताया गया है कि उनके कटाक्ष (कृपादृष्टि) में इतनी शक्ति है कि वह अनंत सिद्धियाँ प्रदान कर सकती हैं। इन सभी श्लोकों का सार एक ही है: भक्त राधा रानी से यह प्रार्थना करता है कि वे एक बार अपनी कृपा की दृष्टि उस पर डालें, जिससे उसका जीवन सफल हो सके। इस प्रकार, यह स्तोत्र केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि राधा रानी के प्रति पूर्ण समर्पण और उनके प्रेम को प्राप्त करने की एक गहरी लालसा को दर्शाता है।
Song - Shri Radha Kripa Katakshya Stotra
Lyrics- Lord Shiva
Singer - Nikita
Video - Nikita
Graphics - Goofi Graphics
Music Lebel / Publisher - Radheys Sankirtan
Band - Radheys Sankirtan
Concept by Krishna
Recorded at Radheys audio visuals ( Vrindavan )
Lyrics- Lord Shiva
Singer - Nikita
Video - Nikita
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Music Lebel / Publisher - Radheys Sankirtan
Band - Radheys Sankirtan
Concept by Krishna
Recorded at Radheys audio visuals ( Vrindavan )
