दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है भजन

दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है भजन


दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है,
ये कर्म न थे मेरे,
अहसान तुम्हारा है।
दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है।।

कल दिन थे गरीबी के,
अब रोज़ दिवाली है,
किस्मत ये नहीं मेरी,
वरदान तुम्हारा है।
दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है।।

ठुकराने वालों ने,
पलकों पे बिठाया है,
ये शान नहीं मेरी,
सम्मान तुम्हारा है।
दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है।।

एक वक़्त के मारे ने,
किस्मत को हरा डाला,
औक़ात न थी मेरी,
ये काम तुम्हारा है।
दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है।।

निर्बल को अपनाना,
निर्धन के घर आना,
ये शौक नहीं तेरा,
ये विधान तुम्हारा है।
दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है।।

रोते को हँसता तू,
गिरते को उठाता तू,
‘सोनू’ तभी दीनदयाल,
पड़ा नाम तुम्हारा है।
दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है।।

दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है,
ये कर्म न थे मेरे,
अहसान तुम्हारा है।
दरबार मिला मुझको,
जो श्याम तुम्हारा है।।


दरबार मिला मुझको | 2021 का लेटेस्ट कृष्ण भजन | New Krishna Bhajan | Saurabh Madhukar

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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