जिद है कन्हैया बिगड़ी बना दो भजन

जिद है कन्हैया बिगड़ी बना दो भजन


जिद है कन्हैया
बिगड़ी बना दो
मार के ठोकर या फिर
हस्ती मिटा दो
जिद है कन्हैया।

बरसे जो तू तो
कुटिया टपकती
ना बरसे तो
खेती तरसती
बरबस ही मेरी
आँखें बरसती
मांगूं क्या तुझसे
तुम ही बता दो
मार के ठोकर या फिर
हस्ती मिटा दो
जिद है कन्हैया।

रोता हूँ मैं तो
हँसती है दुनिया
सेवक पे तेरे ताने
कसती है दुनिया
हालत पे मेरे
बरसती है दुनिया
रोते हुए को
फिर से हँसा दो
मार के ठोकर या फिर
हस्ती मिटा दो
जिद है कन्हैया।

तेरे सिवा कोई
हमारा नहीं है
बिन तेरे अपना
गुज़ारा नहीं है
हाथों को दर-दर
पसारा नहीं है
जाऊँ कहाँ मैं
तुम ही बता दो
मार के ठोकर या फिर
हस्ती मिटा दो
जिद है कन्हैया।

होश संभाली जब से
तुझको निहारा
सुख हो या दुःख हो
तुझको पुकारा
सेवक ये तेरा क्यों
फिरे मारा-मारा
अपना वो जलवा
हमें भी दिखा दो
मार के ठोकर या फिर
हस्ती मिटा दो
जिद है कन्हैया।

रोमी ये तुझसे
अर्जी लगाए
सपने न टूटें जो
तूने दिखाए
सर मेरा दर-दर
झुकने न पाए
सपनों के मेरे
पंख लगा दो
मार के ठोकर या फिर
हस्ती मिटा दो
जिद है कन्हैया।

जिद है कन्हैया
बिगड़ी बना दो
मार के ठोकर या फिर
हस्ती मिटा दो
जिद है कन्हैया।


Zid Hai Kanhaiya | Superhit Krishna Bhajan | Harmahennder Singh "Romi"

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