बुद्ध, आम और बच्चे महात्मा बुद्ध की प्रेरणदाय कहानी

मैं सरोज जांगिड आप सभी का स्वागत करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर जहाँ पर मैं आपके लिए महात्मा बुद्ध के किस्से और कहानियां लेकर आती हूँ । आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक और प्रेरणादायक कहानी जिसका शीर्षक है "बुद्ध, आम और बच्चे"। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें बुराई का जवाब अच्छाई से देना चाहिए और हमेशा दूसरों के प्रति दया का भाव रखना चाहिए, इसके परिणाम बहुत ही सुखद होते हैं। तो चलिए, इस अद्भुत कहानी में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि गौतम बुद्ध ने इस घटना से बच्चों को क्या महत्वपूर्ण शिक्षा दी। Mahatma Buddh Aur Bacche Ki Kahani
 
बुद्ध, आम और बच्चे

महात्मा बुद्ध की प्रेरणदाय कहानी: बुद्ध, आम और बच्चे

एक बार की बात है, भगवान गौतम बुद्ध एक शांतिपूर्ण उपवन में विश्राम कर रहे थे। ठंडी छांव और चारों ओर फैली हरियाली ने वहां का वातावरण बेहद शांतिमय बना दिया था। इसी दौरान कुछ बच्चे वहां खेलने आ पहुंचे। खेलते-खेलते उनकी नज़र एक घने आम के पेड़ पर पड़ी, जो मीठे फलों से भरा हुआ था। बच्चों ने सोचा कि अगर पेड़ पर पत्थर मारे जाएं तो पके हुए आम गिर सकते हैं, और वे उन रसीले फलों का आनंद ले सकते हैं।

बच्चों ने एक के बाद एक पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। अचानक, एक पत्थर गौतम बुद्ध के सिर पर जा लगा, और उनके सिर से खून बहने लगा। बुद्ध ने अपनी आँखों में अचानक आए आँसू को पोंछा और शांति से बैठ गए। जब बच्चों ने देखा कि उनका पत्थर बुद्ध को लग गया है और उनके सर से खून बह रहा है, तो वे घबरा गए। वे यह सोचकर डर गए कि बुद्ध अब उन्हें डांटेंगे या फटकारेंगे।

डरे हुए बच्चों ने बुद्ध के पास जाकर उनके चरण पकड़ लिए और माफी माँगने लगे। उनमें से एक बच्चा, जो सबसे साहसी था, उसने कांपते हुए कहा, “हमसे गलती हो गई, आपको पत्थर लग गया और आपके आंसू भी आ गए। हम माफ़ी चाहते हैं।”

“बच्चों, मैं तुम्हारे इस पत्थर के लगने से दुखी नहीं हूँ। मैं इसलिए उदास हूँ क्योंकि जब तुमने इस पेड़ को पत्थर मारा, तो पेड़ ने तुम्हें मीठे आम दिए।

बुद्ध ने बच्चों की ओर देखते हुए बड़े ही शांत स्वर में कहा, “बच्चों, मैं तुम्हारे इस पत्थर के लगने से दुखी नहीं हूँ। मैं इसलिए उदास हूँ क्योंकि जब तुमने इस पेड़ को पत्थर मारा, तो पेड़ ने तुम्हें मीठे आम दिए। लेकिन जब तुमने मुझे पत्थर मारा, तो मैं तुम्हें केवल भय और डर ही दे सका।”

बुद्ध की बातों का बच्चों पर गहरा असर पड़ा। उन्होंने महसूस किया कि जीवन में बुराई का जवाब हमेशा अच्छाई से देना चाहिए, और अगर हम दूसरों को भय और दुःख देते हैं, तो हम सच्चे सुख से वंचित रह जाते हैं।

दूसरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखना चाहिए।

कहानी से सीख Moral of the Story

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि दूसरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखना चाहिए। जैसे आम का पेड़ पत्थर लगने पर भी मीठे फल देता है, वैसे ही हमें भी दूसरों की गलतियों को माफ कर उन्हें अच्छाई से जवाब देना चाहिए। अगर हम किसी को भय या दुःख देते हैं, तो यह हमारी कमजोरी को दर्शाता है, जबकि क्षमा और दया हमारे आंतरिक बल का प्रतीक होती हैं।

भगवान गौतम बुद्ध की यह प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने जीवन में दया, करुणा और सहनशीलता को स्थान देना चाहिए। जब बच्चे बुद्ध पर पत्थर मारते हैं, तो बुद्ध उन्हें माफ कर देते हैं और उनकी गलती पर प्रतिक्रिया देने की बजाय उन्हें सिखाते हैं कि जैसे आम का पेड़ पत्थर मारने पर भी मीठे फल देता है, वैसे ही हमें भी दूसरों की गलतियों को माफ करना चाहिए। बुद्ध का यह दृष्टिकोण हमें यह समझाता है कि हमें जीवन में अच्छाई और सद्भावना के मार्ग पर चलना चाहिए। इस कहानी का संदेश विशेष रूप से बच्चों और युवाओं को प्रेरित करता है कि वे जीवन में किसी भी नकारात्मक परिस्थिति का मुकाबला सकारात्मक सोच के साथ करें.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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