याद में तेरी कब से मेरा दिल रो रहा है
याद में तेरी कब से मेरा दिल रो रहा है
ओ कान्हा रे आजा रे,
मुझे कुछ हो रहा है,
कहाँ तू सो रहा है,
याद में तेरी कब से,
मेरा दिल रो रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
लाख बुलाया तुझको मोहन,
लेकिन तू ना आया,
आखिर तेरे दर्शन को,
ये दिल मेरा भर आया,
कभी मुस्काना तेरा,
हमें तड़पाना तेरा,
नैनों से नैन मिलाकर,
कभी इतराना तेरा,
बहुत याद आ रहा है,
बड़ा तरसा रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
सूनी आंखें पल पल कान्हा,
तेरी राह निहारे,
इन नैनों की प्यास बुझाने,
जल्दी से तू आ रे,
चांद का टुकड़ा जैसे,
तेरा ये मुखड़ा जैसे,
संवरना ऐसे तेरा,
सजा हो बंरड़ा जैसे,
बहुत याद आ रहा है,
सितम सा ढा रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
आज अगर तुम ना आओगे,
होगी लोग हँसाई,
‘हर्ष’ ज़माने भर में होगी,
आज तेरी रुसवाई,
तेरा चोरी से आना,
तेरा माखन चुराना,
कदम के नीचे कान्हा,
तेरा मुरली बजाना,
बहुत याद आ रहा है,
सताए जा रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
ओ कान्हा रे आजा रे,
मुझे कुछ हो रहा है,
कहाँ तू सो रहा है,
याद में तेरी कब से,
मेरा दिल रो रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
मुझे कुछ हो रहा है,
कहाँ तू सो रहा है,
याद में तेरी कब से,
मेरा दिल रो रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
लाख बुलाया तुझको मोहन,
लेकिन तू ना आया,
आखिर तेरे दर्शन को,
ये दिल मेरा भर आया,
कभी मुस्काना तेरा,
हमें तड़पाना तेरा,
नैनों से नैन मिलाकर,
कभी इतराना तेरा,
बहुत याद आ रहा है,
बड़ा तरसा रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
सूनी आंखें पल पल कान्हा,
तेरी राह निहारे,
इन नैनों की प्यास बुझाने,
जल्दी से तू आ रे,
चांद का टुकड़ा जैसे,
तेरा ये मुखड़ा जैसे,
संवरना ऐसे तेरा,
सजा हो बंरड़ा जैसे,
बहुत याद आ रहा है,
सितम सा ढा रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
आज अगर तुम ना आओगे,
होगी लोग हँसाई,
‘हर्ष’ ज़माने भर में होगी,
आज तेरी रुसवाई,
तेरा चोरी से आना,
तेरा माखन चुराना,
कदम के नीचे कान्हा,
तेरा मुरली बजाना,
बहुत याद आ रहा है,
सताए जा रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
ओ कान्हा रे आजा रे,
मुझे कुछ हो रहा है,
कहाँ तू सो रहा है,
याद में तेरी कब से,
मेरा दिल रो रहा है,
ओ कान्हा रे आजा रे,
ओ कान्हा रे आजा रे।।
O KANHA RE - MUKESH BAGDA
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व्याकुलता, इंतजार और प्रेम की गहराई से भरी पुकार जब मन के अंदर बिलखती है, तो सारी दुनिया फीकी लगती है—केवल कान्हा की स्मृति, मुस्कान और आहट ही आशा में तब्दील हो जाती है। मन बार-बार परमात्मा को बुलाता है, कभी मुरली वाले का, कभी ग्वाले का, कभी छलिया का रास्ता तकता है। हर आह, हर सिसकी, हर आँख का आँसू केवल उसी प्रीत की प्यास से भरा होता है।
तनहा जीवन, सूनी रातें और अधूरी अभिलाषाएँ तब तक बोझ बनी रहती हैं, जब तक प्यारे कान्हा की आहट न मिले—हर मुस्कान, हर अठखेली, हर बचपन की लीला एक टीस बनकर भीतर सहेज ली जाती है। यही प्रेम, यही तड़प चरम विश्वास में बदल जाती है कि सच्चे आराध्य के दर्शन, बातचीत या छवि मिलते ही सारी उदासी, हार और सूनेपन का सिरा खुद-ब-खुद मिट जाता है.
तनहा जीवन, सूनी रातें और अधूरी अभिलाषाएँ तब तक बोझ बनी रहती हैं, जब तक प्यारे कान्हा की आहट न मिले—हर मुस्कान, हर अठखेली, हर बचपन की लीला एक टीस बनकर भीतर सहेज ली जाती है। यही प्रेम, यही तड़प चरम विश्वास में बदल जाती है कि सच्चे आराध्य के दर्शन, बातचीत या छवि मिलते ही सारी उदासी, हार और सूनेपन का सिरा खुद-ब-खुद मिट जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण के अनगिनत नाम उनके दिव्य और मनमोहक स्वरूप के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं, जिनमें से दस प्रमुख नामों का अर्थ और महत्व उनके सम्पूर्ण चरित्र को अभिव्यक्त करता है। जैसे 'कृष्ण' का अर्थ है 'सबको अपनी ओर आकर्षित करने वाला', जो उनके परम आकर्षक स्वरूप का प्रतीक है; 'गोविंद' का अर्थ है 'गौओं को आनंद देने वाला' या 'इंद्रियों का स्वामी', जो उनके पालक और रक्षक रूप को दर्शाता है; 'माधव' का अर्थ है 'लक्ष्मी के पति' या 'मधु वंश में उत्पन्न', जो उनके ऐश्वर्य और राजसी पक्ष को प्रकट करता है; 'गोपाल' का अर्थ है 'गाय चराने वाला', जो उनके सहज और बाल रूप की लीलाओं से जुड़ा है; 'केशव' का तात्पर्य है 'सुंदर लंबे केशों वाला' या 'केशी नामक राक्षस का वध करने वाला', जो उनकी सुंदरता और वीरता दोनों को दर्शाता है; 'श्याम' उनके साँवले रंग को इंगित करता है, जो उन्हें प्रेम और रहस्य से भर देता है; 'वासुदेव' नाम उन्हें देवकी और वसुदेव के पुत्र के रूप में पहचान देता है, जो उनके मानव जन्म की ओर संकेत करता है; 'मुरलीधर' उन्हें बाँसुरी धारण करने वाले के रूप में दर्शाता है, जिसकी मधुर ध्वनि भक्तों को मोहित करती है; 'अच्युत' का अर्थ है 'अविनाशी' या 'कभी न गिरने वाला', जो उनकी शाश्वत और त्रुटिहीन प्रकृति को बताता है; और 'हरि' का अर्थ है 'दुःख और पापों को हरने वाला', जो भक्तों के प्रति उनके कल्याणकारी और मुक्तिदायक स्वभाव का महत्व स्थापित करता है। ये सभी नाम मिलकर श्रीकृष्ण को परम पुरुष, भक्तवत्सल और जगत के उद्धारकर्ता के रूप में पूजनीय बनाते हैं।
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Author - Saroj Jangir
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