नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारी इस प्रेरणादायक कहानी में। आज की कहानी हमें सिखाएगी कि कैसे हम अपने जीवन के अमूल्य पलों और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें। यह कहानी न केवल हमारे अंदर सोचने की नई दिशा पैदा करेगी, बल्कि हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा भी देगी। तो चलिए, शुरू करते हैं यह कहानी – "चंदन और कोयला।"
चंदन और कोयला बहुत समय पहले की बात है। एक दिन, एक राजा शिकार खेलने के लिए जंगल में गया। खेलते-खेलते वह जंगल के भीतर बहुत दूर निकल गया और प्यास से व्याकुल हो गया। पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते हुए राजा को एक लकड़हारा मिला, जो लकड़ी से कोयला बना रहा था। राजा ने लकड़हारे से पानी मांगा। लकड़हारे ने विनम्रता से अपना एकमात्र लोटा पानी राजा को पिला दिया।
राजा उस पानी को पीकर अत्यंत प्रसन्न हुआ और लकड़हारे से कहा, "तुमने मेरी प्यास बुझाई है, इसके लिए मैं बहुत आभारी हूं। किसी दिन मेरी राजधानी आना, मैं तुम्हें इसका इनाम दूंगा।"
कुछ समय बीत गया। एक दिन लकड़हारे ने सोचा कि क्यों न राजा से मिलने जाया जाए। वह राजधानी पहुंचा और राजा को अपनी पहचान बताई। राजा ने उसे अपने पास बैठाया और सोचा कि इस गरीब व्यक्ति का जीवन कैसे सुधारा जाए। सोच-विचार के बाद, राजा ने लकड़हारे को चंदन का एक बड़ा बाग उपहार में दे दिया।
लकड़हारा बहुत खुश हुआ और सोचने लगा कि अब वह चंदन के वृक्षों से कोयला बनाकर अपना जीवन आराम से चला सकेगा। उसने चंदन के पेड़ों को काटकर कोयला बनाना शुरू कर दिया और उसे बाजार में बेचने लगा।
कुछ समय बाद, राजा ने सोचा कि वह लकड़हारे का हाल-चाल जानने जाए। जब राजा चंदन के बाग पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वहां से धुआं उठ रहा है। पास जाकर उन्होंने पाया कि लकड़हारा चंदन के पेड़ों को जलाकर कोयला बना रहा था।
राजा ने आश्चर्य से पूछा, "भले आदमी! तुमने यह क्या किया? यह चंदन का बाग तो बहुत मूल्यवान था।" लकड़हारा बोला, "महाराज, आपकी कृपा से मेरा जीवन आराम से कट रहा था। मैं चंदन को जलाकर कोयला बनाता रहा और उसे बेचकर पैसे कमाता रहा। अब केवल कुछ ही पेड़ बचे हैं। अगर कोई और बाग मिल जाए तो मैं अपना जीवन इसी तरह व्यतीत कर सकता हूं।"
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राजा ने लकड़हारे को समझाने के लिए कहा, "आज तुम चंदन की लकड़ी को कोयला बनाने के बजाय बाजार में बेचकर देखो।" लकड़हारे ने चंदन की एक लकड़ी लेकर बाजार में बेचा और उसे कोयले की तुलना में कई गुना ज्यादा पैसे मिले।
लकड़हारा यह देखकर हैरान रह गया और रोते हुए राजा के पास आया। उसने अपनी मूर्खता और अज्ञानता को स्वीकार किया। उसे गहरा पछतावा हुआ कि उसने अमूल्य चंदन को जलाकर कोयला बना दिया। राजा ने उसे सांत्वना दी और समझाया कि जीवन में हर संसाधन का सही उपयोग करना चाहिए।
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारा जीवन और समय बहुत मूल्यवान है। हमें इसे व्यर्थ की गतिविधियों में बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमारा जीवन एक चंदन के बाग की तरह है, जिसे हमें संभालकर रखना चाहिए और इसे सही दिशा में इस्तेमाल करना चाहिए।
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