उठा दो मेरी मटकी ओ बंसी वाले

उठा दो मेरी मटकी ओ बंसी वाले


उठा दो मेरी मटकी, ओ बंसीवाले।
ओ बंसीवाले, ओ मुरलीवाले।

औरों की तूने मटकी उठाई,
मटकी उठाई, तूने मटकी उठाई।
हमारी काहे पटकी, ओ बंसीवाले।
उठा दो मेरी मटकी, ओ बंसीवाले।

औरों की तूने गैया चराई,
गैया चराई, तूने गैया चराई।
मेरी काहे भटकी, ओ बंसीवाले।
उठा दो मेरी मटकी, ओ बंसीवाले।

औरों का तूने माखन खाया,
माखन खाया, तूने माखन खाया।
मेरी मटकी छिके लटकी, ओ बंसीवाले।
उठा दो मेरी मटकी, ओ बंसीवाले।

औरों को तूने चुनर ओढ़ाई,
चुनर ओढ़ाई, तूने चुनर ओढ़ाई।
मेरी चुनरी झाड़ी अटकी, ओ बंसीवाले।
उठा दो मेरी मटकी, ओ बंसीवाले।

औरों की नैया पार लगाई,
पार लगाई, तूने पार लगाई।
मेरी क्यों भंवर अटकी, ओ बंसीवाले।
उठा दो मेरी मटकी, ओ बंसीवाले।


कृष्ण भजन | उठा दो मेरी मटकी ओ बंसी वाले | Utha Do Meri Matki | Radha Krishna Bhajan | Kajal Malik

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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