श्याम मुरली को बजाने आओ जी
श्याम मुरली को बजाने आओ जी
श्याम मुरली तो बजाने आओ जी,
रूठी राधा को मनाने आओ जी...
ढूंढती है तुझे ब्रज की बाला,
रास-मधुबन में रचाने आओ जी,
श्याम मुरली तो बजाने आओ जी...
राह तकते हैं ये ग्वाले कब से,
फिर से माखन को चुराने आओ जी,
श्याम मुरली तो बजाने आओ जी...
इन्द्र फिर कोप कर रहा बृज पर,
नख पर गिरिवर को उठाने आओ जी,
श्याम मुरली तो बजाने आओ जी...
रूठी राधा को मनाने आओ जी...
ढूंढती है तुझे ब्रज की बाला,
रास-मधुबन में रचाने आओ जी,
श्याम मुरली तो बजाने आओ जी...
राह तकते हैं ये ग्वाले कब से,
फिर से माखन को चुराने आओ जी,
श्याम मुरली तो बजाने आओ जी...
इन्द्र फिर कोप कर रहा बृज पर,
नख पर गिरिवर को उठाने आओ जी,
श्याम मुरली तो बजाने आओ जी...
श्याम मुरली को बजाने आओ राष्ट्रीय कथावाचक पं राधेकृष्ण जी महाराज
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Author - Saroj Jangir
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