अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या

अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या

(मुखड़ा)
दिन चढ़या, दिन चढ़या,
अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या।।
अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या।।
असी हो गए निहाल, असी हो गए मालामाल।।
असी सतगुरु प्यारे दा लड़ फड़या।।
दिन चढ़या, दिन चढ़या,
अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या।।
अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या।।


(अंतरा 1)
मेरे सतगुरां ने कृपा कर दिती ऐ।।
सब दे दिलां दी मुराद पूरी कीती ऐ।।
कृपा कर दिती ऐ, मुराद पूरी कीती ऐ।।
असी हो गए निहाल, असी हो गए मालामाल।।
असी सतगुरु प्यारे दा लड़ फड़या।।
दिन चढ़या, दिन चढ़या,
अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या।।

(अंतरा 2)
अज मस्ती सब ते छाई होई ऐ।।
अज तेरी वी वारी आई होई ऐ।।
असी हो गए निहाल, असी हो गए मालामाल।।
असी सतगुरु प्यारे दा लड़ फड़या।।
दिन चढ़या, दिन चढ़या,
अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या।।

(अंतरा 3)
मेरे सतगुरां ने दर्श दिखाए ने।।
सानूं मिठे-मिठे बचन सुनाए ने।।
दर्श दिखाए ने, बचन सुनाए ने।।
असी हो गए निहाल, असी हो गए मालामाल।।
असी सतगुरु प्यारे दा लड़ फड़या।।

दिन चढ़या, दिन चढ़या,
अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या।।

(पुनरावृत्ति)
असी सतगुरु प्यारे दा लड़ फड़या।।
दिन चढ़या, दिन चढ़या,
अज पागां वाला खुशियां दा दिन चढ़या।।
 

अज पागा वाला खुशिया दा दिन चढ़या इस सुन्दर भजन को जरूर सुने

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सूरज की किरणों के साथ एक नया सवेरा आया, जो मन को आलोकित कर देता है। यह केवल दिन का उजाला नहीं, बल्कि आत्मा में बसी खुशी का प्रकाश है, जो सतगुरु की कृपा से फलता-फूलता है। वह कृपा ऐसी है, मानो कोई प्यासा कुआँ पा ले, और हर इच्छा, हर मनोरथ सहज ही पूर्ण हो जाए। जैसे कोई किसान वर्षों की मेहनत के बाद फसल लहलहाती देख आनंदित हो, वैसे ही सतगुरु का आशीर्वाद जीवन को समृद्ध और संपूर्ण बनाता है।

यह आनंद केवल व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक है। हर दिल में उत्सव की लहर दौड़ रही है, मानो कोई त्योहार सारे गाँव को एक सूत्र में बाँध दे। सतगुरु के दर्शन और उनके मधुर वचन सुनकर मन मंत्रमुग्ध हो उठता है, जैसे कोई रागिनी आत्मा को झंकृत कर दे। उनके शब्द मार्गदर्शन का दीपक जलाते हैं, जो अंधेरे में भी राह दिखाता है। यह सान्निध्य जीवन को अर्थ देता है, जैसे कोई खोया हुआ यात्री अपने घर की चौखट पर लौट आए।

संत की नजर से देखें, तो यह सुख सतगुरु के चरणों में समर्पण से मिलता है। चिंतक इसे उस बिंदु के रूप में देखता है, जहाँ मन की उलझनें शांत होकर सत्य की खोज में बदल जाती हैं। धर्म का ज्ञान यही सिखाता है—जीवन का हर पल तब सार्थक होता है, जब वह प्रेम, विश्वास और कृतज्ञता से भरा हो। सतगुरु का साथ वह सेतु है, जो हमें अपनी साधारणता से ऊपर उठाकर अनंत की ओर ले जाता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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