महाराज गजानंद आवजो जी भजन

महाराज गजानंद आवजो जी भजन

 
महाराज गजानंद आवजो जी भजन

महाराज गजानंद आवजो जी
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

रणत भवन से आवो नी गजानन,
संग में रिद्धि सिद्धि ल्यावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आवो,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

ब्रम्हा जी आवो देवा विष्णु पधारो,
संग में सरस्वती ले आवो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आवो,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

नांदिये सवारी शिव भोला पधारो,
संग में पार्वती ने ल्यावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

सिंघ सवारी नवदुर्गे पधारो,
संग में काळा गौरा ल्यावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

लीले सवारी बाबा रामदेव आवो,
संग में मेतल राणी ल्यावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आवो,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

तानसेन देवा थारो यश गावे,
भूल्या ने राह बतावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।


महाराज गजानंद आओ जी म्हारी सभा में रंग बरसाओ जी.. (आगरा)
 
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Mhaaree Sabha Mein Rang Barasao,
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Mhaaree Sabha Mein Rang Barasao..

 
इस भजन में, भक्त भगवान गणेश से अपनी सभा में आकर खुशियां बिखेरने की प्रार्थना कर रहे हैं। वे भगवान गणेश को "रणत भवन" से आने के लिए कहते हैं, जो उनकी निवास स्थान है। वे भगवान गणेश को अपने साथ रिद्धि-सिद्धि लाने के लिए कहते हैं, जो धन, समृद्धि और सफलता के देवता हैं। भक्त ब्रह्मा, विष्णु और महेश जैसे अन्य देवताओं को भी अपनी सभा में आमंत्रित करते हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती, नवदुर्गे और बाबा रामदेव को भी आमंत्रित करते हैं। 

भगवान गणेश को 'गजानन' इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनके मुख का स्वरूप हाथी जैसा है। 'गज' का अर्थ है हाथी और 'आनन' का अर्थ है मुख, यानी गजानन का मतलब होता है हाथीमुख वाले भगवान। यह नाम उनके हाथी के सिर वाले रूप को दर्शाता है, जो उनके विशेष और अद्वितीय स्वरूप का परिचायक है। गजानन रूप की कथा के अनुसार, माता पार्वती ने जब अपने पुत्र गणेश को घर की सुरक्षा के लिए द्वार पर रखा, तब भगवान शिव जब उनके पास आए, तो गणेश ने उन्हें प्रवेश नहीं दिया। इससे क्रोधित होकर शिव ने गणेश का सिर काट दिया, लेकिन पार्वती की दु:ख भरी प्रार्थना पर शिव ने गणेश के धड़ पर हाथी का सिर लगाया और उन्हें पुनर्जीवित किया। इस कारण उन्हें गजानन कहा जाने लगा। गजानन गणेश जी धैर्य, शक्ति, बुद्धि और विवेक के प्रतीक हैं, और वे विघ्नहर्ता भी हैं जो हर बाधा को दूर करते हैं।
 
भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले इसलिए की जाती है क्योंकि वे विघ्नहर्ता यानी सभी विघ्न, बाधा और कठिनाइयों को हराने वाले देवता हैं। कोई भी शुभ कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, व्यवसाय या यात्रा आदि, गणेश जी की पूजा और आशीर्वाद के बिना शुरू नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गणेश जी मनुष्य के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं और कार्यों को सफलता की ओर ले जाते हैं।

पुराणों के अनुसार, देवताओं के बीच एक प्रतियोगिता में, सभी देवताओं को ब्रह्मांड की परिक्रमा करनी थी, लेकिन गणेश जी ने अपने माता-पिता – भगवान शिव और पार्वती – की परिक्रमा करने को ब्रह्मांड की परिक्रमा माना। उनकी बुद्धिमत्ता और भक्ति को देखकर उन्हें प्रथम पूज्य देवता घोषित किया गया। इसलिए वे सभी शुभ कार्यों की शुरुआत में प्रथम पूजनीय देवता हैं।

गणेश जी की पूजा से मन में उत्साह, आत्मविश्वास, सुख-शांति और समृद्धि आती है, जिससे जीवन के सारे काम सफल होते हैं। इसलिए हर धार्मिक और सांसारिक कार्य की शुरुआत गणेश जी से होती है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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