खुदाया देख ले हम कैसे निसार हो के चले

Khudaya Dekh Le Hum Kaise Nisar Ho Chale

खुदाया देख ले हम, कैसे निसार हो के चले
खुदाया देख ले हम, कैसे निसार हो के चले ।
तिरे ही नाम पे प्यारे, निसार हो के चले ।

खराबो खस्ताओ, जारो-नजार हो के चले,
वतन में आह, गरीबुद्दियार हो के चले ।
निशानाए सितमे सदहज़ार हो के चले ।

जनाब माफ हो ये गुफ्तगुए बेतासीर,
मुकद्दरात में चलती नही कोई तदवीर ।

हमारी तरह से हैं, और भी कई दिलगीर,
फिराये देखिए हमको कहाँ–कहाँ तक़दीर ।
असीरे-गर्दिशे-लैलो-निहार हो के चले ।

तिरे ही वास्ते आलम में, हो गये बदनाम,
तिरे सिवा नहीं रखते, किसी से हम कुछ काम ।

तिरे ही नाम को जपते हैं, हम सुबहो-शाम,
वतन न दे हमें तर्के-वफ़ा का तू इल्ज़ाम ।
कि आबरू पे तेरी हम निसार हो के चले ।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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