मोहे मिठो मिठो सरजू जी को पानी लागे भजन लिरिक्स

मोहे मिठो मिठो सरजू जी को पानी लागे भजन लिरिक्स देवेन्द्र पाठक

 
मोहे मिठो मिठो सरजू जी को पानी लागे लिरिक्स Mohe Mitho Mitho Sarju Ji Ko Paani Lage Lyrics

जय हो अयोध्या, जय माँ सरयू,
सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,
राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे।
सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,
राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे।
जय हो प्रभु राम की जय हो अयोध्या धाम की,

धन्य कौशल्या धन्य सुमित्रा धन्य कैकई मैया,
धन्य कैकयी मैया,
धन्य कौशल्या धन्य सुमित्रा धन्य कैकई मैया,
धन्य कैकयी मैया, धन्य भूप दशरथ के अँगना,
खेलत चारो भैया,
मीठी तोतली रसीली प्रभु की बानी लागे
प्रभु की बनी लागे,मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे।
सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,
राजधानी लागे
मोहे मिठो मिठो,सरजू जी को पानी लागे।

परम सुहावन जनम भूमि श्री रघुवर राम लला की,
रघुवर राम लला की,
कनक भवन सुन्दर शोभा हो,
कनक भवन सुन्दर शोभा,
लक्ष्मण ज्यूत के किला की,
जहां के कण कण में प्रभु की
निशानी लागे, निशानी लागे,
मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे।
सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,

रंगमहल हनुमानगढ़ी छोटी छावनी अति सुन्दर,
छोटी छावनी अति सुन्दर,
रंगमहल हनुमानगढ़ी छोटी छावनी अति सुन्दर,
छोटी छावनी अति सुन्दर,
स्वंय जगत के मालिक बैठे,
स्वंय जगत के मालिक बैठे,
कनक भवन के अंदर,
सीता राम जो की शोभा सुखकानी लागे,
सुखकानी लागे,
सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,
राजधानी लागे
मोहे मिठो मिठो,
सरजू जी को पानी लागे।

मीठो मीठो सरयू जी के पानी लागे सीताराम जी की प्यारी राजधानी लागे !! Devendra Pathak Ji Maharaj

 
सीता राम जी प्यारी,राजधानी लागे,
राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।।

धन्य कौशल्या धन्य कैकई,
धन्य सुमित्रा मैया,
धन्य कौशल्या धन्य कैकई,
धन्य सुमित्रा मैया,
धन्य भूप दशरथ के अँगना,
खेलत चारो भैया,
मीठी तोतली रसीली प्रभु की,
बानी लगे प्रभु की बनी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।
सीता राम जी प्यारीं,
राजधानी लागे,
राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।।

जन्मभूमि हनुमान गढ़ी की,
शोभा है अति सुन्दर,
स्वयं जगत के मालिक बैठे,
कनक भवन के अंदर,
मीठी रस से रसीली,
ये कहानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।
सीता राम जी प्यारीं,
राजधानी लागे,
राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।।

सहज सुहावन जनम भूमि,
श्री रघुवर राम लाला की,
श्री रघुवर राम लाला की,
जानकी महल सूचि सुन्दर शोभा,
लक्ष्मण ज्यूत किला की,
यहाँ की कैकई से,
प्रीत पुरानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।
सीता राम जी प्यारीं,
राजधानी लागे,
राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।।
 
जय सियाराम दंडवत भैया,
मधुरी बानी बोले,
मधुरी बानी बोले,
करे कीर्तन संत मगन मन,
गली गली मे डोले,
सीता राम नाम धुन,
मस्तानी लागे,
मस्तानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।
सीता राम जी प्यारीं,
राजधानी लागे,
राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।।

रघुपत प्रेम प्राप्त करके सब,
पी कर श्री हरी रस को,
पी कर श्री हरी रस को,
गण ‘राजेश’ रहे नित निर्भय,
फिकर कहो क्या उसको,
जिसको मात पिता रघुराज,
सिया महारानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।
सीता राम जी प्यारी,
राजधानी लागे,
राजधानी लागे,
मोहे मिठो मिठो,
सरयू जी रो पानी लागे।।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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