तुम तजि और कौन पै जाऊं भजन
तुम तजि और कौन पै जाऊं
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं,
तुम तजि और कौन पै जाऊं,
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं,
ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं,
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं,
तुम तजि और कौन पै जाऊं,
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं,
रंक अयाची कियू सुदामा दियो अभय पद ठाऊं,
कामधेनु चिंतामणि दीन्हो कलप वृक्ष तर छाऊं,
तुम तजि और कौन पै जाऊं,
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं,
भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं,
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं,
तुम तजि और कौन पै जाऊं,
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं, आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं