होई जावों संत सुधारों थारी काया जी लिरिक्स Hoyi Javo Sant Sudharo Lyrics
करो तो आछी करो, और बुरी बिचारो नाय,
कसर पड़े ज्यू मति करो, इण ओछी उमर रे माय,
होई जावों संत सुधारों थारी (थोरी) काया जी,
अपणे धणियों रा मारग झीणा है ओ रावळ माल,
समझयोड़ा हो तो, झीणोंड़े मारग चालो जी,
रथ घोड़ा ने धीमा हाको ,नी ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी (थोरी) काया जी,
ऊंण्डा ऊंण्डा नीर अथक जळ भरियो जी,
देरूड़ा रो थाग नहीं आयो है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
कड़वा रे निम्ब निबोल्यां ज्यांरी मीठी जी,
कुण नर मिशरी मिलाई है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
बैठ हथायाँ माळा झूठ मत बोलो जी,
पथ पँचों रे माँहि जावे है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
घर री तो खांड (चीनी) करकरी ओ लागे जी,
गुड़ तो चोरी रो मीठो लागे है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
पराई नार आंगनियाँ में ऊभी जी,
ज्यानें बेनड़ कह बतलावों ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
उजडें खेतों में माला बीज मति बौवों जी,
हासल (लाभ ) हाथ नहीं आवें है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
दोउ कर जोड़ राणी रुपादे जी बोले जी,
अपने धणियों ने समझाया है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
कसर पड़े ज्यू मति करो, इण ओछी उमर रे माय,
होई जावों संत सुधारों थारी (थोरी) काया जी,
अपणे धणियों रा मारग झीणा है ओ रावळ माल,
समझयोड़ा हो तो, झीणोंड़े मारग चालो जी,
रथ घोड़ा ने धीमा हाको ,नी ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी (थोरी) काया जी,
ऊंण्डा ऊंण्डा नीर अथक जळ भरियो जी,
देरूड़ा रो थाग नहीं आयो है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
कड़वा रे निम्ब निबोल्यां ज्यांरी मीठी जी,
कुण नर मिशरी मिलाई है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
बैठ हथायाँ माळा झूठ मत बोलो जी,
पथ पँचों रे माँहि जावे है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
घर री तो खांड (चीनी) करकरी ओ लागे जी,
गुड़ तो चोरी रो मीठो लागे है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
पराई नार आंगनियाँ में ऊभी जी,
ज्यानें बेनड़ कह बतलावों ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
उजडें खेतों में माला बीज मति बौवों जी,
हासल (लाभ ) हाथ नहीं आवें है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
दोउ कर जोड़ राणी रुपादे जी बोले जी,
अपने धणियों ने समझाया है ओ रावळ माल,
होई जावों संत सुधारों थारी काया जी,
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