बूझत स्याम कौन तू गोरी हिंदी मीनिंग Bujhat Shyam Koun Tu Gouri Hindi Meaning

बूझत स्याम कौन तू गोरी हिंदी मीनिंग Bujhat Shyam Koun Tu Gouri Hindi Meaning


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बूझत स्याम कौन तू गोरी।
कहाँ रहति काकी है बेटी, देखी नहीं कबहूँ ब्रज-खोरी॥
काहे को हम ब्रज-तन आवतिं, खेलत रहतिं आपनी पोरी।
सुनत रहतिं स्रवननि नंद ढोटा, करत फिरत माखन दधि चोरी॥
तुम्हरो कहा चोरि हम लैहें, खेलन चलो संग मिलि जोरी।
सूरदास प्रभु रसिक सिरोमनि, बातनि भुरई राधिका भोरी॥


सूरदास के पद के शब्दार्थ Word Meaning of Soordasa Pada

  • बूझत = पूछते हैं।
  • गोरी = युवती, कन्या।
  • खोरी = गली।
  • ब्रज तन = ब्रज की ओर।
  • पोरी = बरामदा, पौली।
  • स्रवननि = कानों से।
  • नंद ढोटा = नंद के पुत्र (कृष्ण)।
  • दधि = दही।
  • मिलि जोरी = जोड़ी बनाकर, साथ-साथ।
  • रसिक सिरोमनि = रस पूर्ण बातों में बहुत चतुर।
  • बातनि = बातों के द्वारा।
  • भुरई = बहका ली, राजी कर ली।
  • भोरी = भोली, सीधी-सादी।

सूरदास के पद हिंदी मीनिंग Bujhat Shyam Koun Tum Gouri Hindi Meaning : Soordas Ke Pad Hindi

श्री कृष्ण और राधा रानी जी का प्रेम सहज है। श्री कृष्ण जी का राधा जी से प्रेम का विकास धीरे-धीरे बाल्य से ही हुआ है। दोनों का प्रथम परिचय रवि-तनया के तट पर सहज रूप से होता है। एक दूसरे के सौन्दर्य,वाक्चातुरी तथा क्रीड़ा-कला पर मुग्ध वे परस्पर स्नेह-बंधन में बंध जाते हैं। यह उनके सहज प्रेम का प्रारम्भ है। इस पद में सूरदास जी ने श्री कृष्ण जी को रसिक शिरोमणि बताया है और राधा जी का स्वभाव सरल और भोला।

इस पद में सूरदास जी ने श्री कृष्ण जी और राधा के बाल्यकाल के आकर्षण को रेखांकित किया है। श्री कृष्ण जी राधा रानी जी से पूछते हैं की हे गौरी तुम कौन हो और तुम कहाँ पर रहती हो। तुम किसकी लड़की/पुत्री हो ? तुम्हे पहले कभी बृज में नहीं देखा है। तुम्हे बृज में आने की आवश्यकता क्यों पड़ी ? तुम्हे पहले कभी बृज की गलियों में देखा नहीं है। तुम हमारे बृज ने क्यों चली आई हो और तुम अपने ही आंगन में खेलती रहती हो।

इसके प्रतिउत्तर में राधा जी कहती हैं की मैंने सुना है की नंद बाबा का छोरा / लड़का माखन की चोरी करता फिरता है। इस पर श्री कृष्ण जी कहते हैं की तुम्हारा हम क्या चुरा लेंगे ? आओ चलकर मिल जुल कर खेलते हैं। सूरदास जी कहते हैं की श्री कृष्ण जो रसिक हैं, ने बातों बातों में भोली भाली राधा जी को भरमा दिया।
"बूझत श्याम कौन तू गौरी" में कौनसा रस है ?
इस पद्य में  "संयोग श्रृंगार" (श्रृंगार - रति) का उपयोग हुआ है.
 
सूरदास : सूरदास जी भक्तिकाल में सगुण भक्ति धारा के प्रमुख कृष्ण भक्त कवी के रूप में स्थापित हैं।आचार्य वल्लभ ने इनको अपने सम्प्रदाय में दीक्षित किया। सूरदास जी की रचनाओं को सूरसागर’, ‘साहित्य लहरी’ और ‘सूर-सारावली’ में संगृहीत किया गया है। सूरदास जी की रचनाओं की प्रमुख भाषा बृज है।
महान श्री कृष्ण भक्त सूरदास का जन्म 1478 ई० में रुनकता नामक गाँव में हुआ। यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे पर है। कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन इस सबंध में कोई एक राय नहीं है। सूरदास के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के अनुग्रह से मनुष्य को सद्गति मिल सकती है। अटल भक्ति कर्मभेद, जातिभेद, ज्ञान, योग से श्रेष्ठ है।


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2 Comments
  • Unknown
    Unknown 12/08/2021

    Isme ras konsa he

  • Saroj Jangir
    Saroj Jangir 12/08/2021

    श्रृंगार - रति

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