निसिदिन बरसत नैन हमारे हिंदी मीनिंग Nisdin Baraste Nain Hamare Meaning

निसिदिन बरसत नैन हमारे हिंदी मीनिंग Nisdin Baraste Nain Hamare Meaning

 
निसिदिन बरसत नैन हमारे।
सदा रहत पावस ऋतु हम पर, जबते स्याम सिधारे।।
अंजन थिर न रहत अँखियन में, कर कपोल भये कारे।
कंचुकि-पट सूखत नहिं कबहुँ, उर बिच बहत पनारे॥
आँसू सलिल भये पग थाके, बहे जात सित तारे।
'सूरदास' अब डूबत है ब्रज, काहे न लेत उबारे॥
 
निसिदिन बरसत नैन हमारे हिंदी मीनिंग Nisdin Baraste Nain Hamare Meaning
 
हिंदी अर्थ / भावार्थ : इस काव्य पंक्ति में सूरदास जी गोपियों के कृष्ण वियोग की तीव्र पीड़ा और विरह वेदना का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि जब से कृष्ण ब्रज से चले गए हैं, तब से गोपियों के नयनों से निरंतर आंसू बह रहे हैं। उनके कपोल काले पड़ गए हैं और कंचुकी-पट सूख नहीं रहे हैं। उनके हृदय में प्रेम की नदी बह रही है। उनके आंसू इतनी अधिक मात्रा में बह रहे हैं कि वे पगथल हो रही हैं और सितारे भी बह रहे हैं। इस काव्य पंक्ति में सूरदास जी ने गोपियों के कृष्ण वियोग की तीव्र पीड़ा और विरह वेदना का मार्मिक चित्रण किया है। वे कहते हैं कि कृष्ण के जाने के बाद गोपियाँ पूरी तरह से दुखी और विचलित हो गई हैं। वे कृष्ण के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती हैं।

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