दुनियाँ भाँडा दुख का भरी मुँहामुह भूष मीनिंग Duniya Bhanda Bhookh Ka Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Bhavarth)
दुनियाँ भाँडा दुख का भरी मुँहामुह भूष।
अदया अलह राम की, कुरलै ऊँणी कूष॥
Duniya Bhanda Dukh Ka, Bhari Muhamuh Bhukh,
Adaya Alah Raam Ki, Kurale Uni Kookh.
अदया अलह राम की, कुरलै ऊँणी कूष॥
Duniya Bhanda Dukh Ka, Bhari Muhamuh Bhukh,
Adaya Alah Raam Ki, Kurale Uni Kookh.
दुनियाँ : संसार, जगत.
भाँडा : बर्तन.पात्र.
दुख का : संताप का.
भरी : भरा हुआ है.
मुँहामुह : लबालब, ऊपर तक पूर्ण रूप से भरी हुई है.
भूष : भूख.
अदया : जिसमे दया नहीं है.
अलह : श्रेष्ठ.
कुरलै : उल्लासित.
ऊँणी : उसी.
कूष : कोष, खजाना.
भाँडा : बर्तन.पात्र.
दुख का : संताप का.
भरी : भरा हुआ है.
मुँहामुह : लबालब, ऊपर तक पूर्ण रूप से भरी हुई है.
भूष : भूख.
अदया : जिसमे दया नहीं है.
अलह : श्रेष्ठ.
कुरलै : उल्लासित.
ऊँणी : उसी.
कूष : कोष, खजाना.
कबीर साहेब की वाणी है की यह संसार तो दुखों से लबालब भरा पड़ा है, इसमें व्यक्ति को कोई सुख प्राप्त नहीं होने वाला है. राम की कृपा के अभाव में वह पुनः उसी निम्न कुल में जन्म लेता है जहाँ सद्ज्ञान का अभाव होता है. भौतिक जगत और इससे जुडी हुई तमाम क्रियाएं ही माया जिस जगत के हर व्यवहार में व्याप्त है. अतः माया जनित कार्य दुखो का कारण हैं. दुखों का मूल हैं. प्रस्तुत साखी में रूपक अलंकार की व्यंजना हुई है.
वस्तुतः कबीर साहेब ने अनेकों स्थान पर साधक को सांसारिक लालसाओं से बचने का सन्देश दिया है। जितनी लालसाएं और कामनाएं होंगी उतना ही व्यक्ति अधिक माया के भरम में गिरता चला जाएगा और दुखी रहेगा।
वस्तुतः कबीर साहेब ने अनेकों स्थान पर साधक को सांसारिक लालसाओं से बचने का सन्देश दिया है। जितनी लालसाएं और कामनाएं होंगी उतना ही व्यक्ति अधिक माया के भरम में गिरता चला जाएगा और दुखी रहेगा।