जिहि जेबड़ी जग बंधिया तूँ जिनि बँधै कबीर मीनिंग कबीर के दोहे

जिहि जेबड़ी जग बंधिया तूँ जिनि बँधै कबीर मीनिंग Jihi Jebadi Jag Bandhiya Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Hindi Bhavarth)

जिहि जेबड़ी जग बंधिया, तूँ जिनि बँधै कबीर।
ह्नैसी आटा लूँण ज्यूँ, सोना सँवाँ शरीर॥
Jihi Jebadi Jag Bandhiya, Tu Jini Bandhe Kabir,
Hanesi Aata Lun Jyu, Son Sava Sharir.

जिहि : जिस.
जेबड़ी : रस्सी, माया बंधन, माया पाश.
जग बंधिया : संसार बंधा हुआ है.
तूँ जिनि बँधै : तुम उसमे मत बंधों.
ह्नैसी : होगा.
आटा लूँण आटा, नमक.
ज्यूँ, जैसे.
सोना : स्वर्ण.
सँवाँ : के समान.
शरीर : यह तन, मानव देह.

कबीर साहेब की इस वाणी में सन्देश है की जिस माया रूपी रस्सी से समस्त जगत बंधा हुआ है तुम उसमे मत बंधों, जैसे आटे में नमक मिल जाता है और उसे फिर कभी पृथक नहीं किया जा सकता है. ऐसे ही माया जनित जगत में तुम मत मिलो, ऐसा करने से तुम्हारा भी नाश तय है. माया के पाश में बंधने से तुम अपने सोने जैसे शरीर को नष्ट कर लोगे. भाव है की इस जगत में चारों तरफ माया फैली हुई है. तुम माया से सावधान रहो. साहेब ने अनेकों स्थान पर कहा है की अनेकों योनियों के बाद व्यक्ति को मानव जीवन प्राप्त होता है. वह इसके मोल को समझे बगैर अपना जीवन व्यर्थ ही सांसारिक क्रियाओं में खो देता है. अतः सचेत होकर गुरु ज्ञान को ग्रहण करना, हरी के मान का सुमिरण करना ही साहेब ने हितकर बताया है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

+

एक टिप्पणी भेजें