कहत सुनत जग जात है विषै न सूझै काल मीनिंग Kahat Sunat Jag Jaat Hai Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Bhavarth)
कहत सुनत जग जात है, विषै न सूझै काल।कबीर प्यालै प्रेम कै, भरि भरि पिवै रसाल॥
Kahat Sunat Jag Jaat Hai, Vishe Na Sujhe Kaal,
Kabir Pyale Prem Ke, Bhari Bhari Pive Rasaal.
कहत सुनत : कहने सुनने में, व्यर्थ की निंदा आदि में (लोगों का जीवन एक दुसरे की बातें बनाने में बीत रहा है)
जग जात है : संसार समाप्त हो रहा है.
विषै न सूझै काल : विषय विकारों में उलझे हुए व्यक्ति को काल (मृत्यु) नहीं दिखाई दे रही है.
कबीर प्यालै प्रेम कै : राम भक्त तो भक्ति रूपी रस के प्याले को भर भर कर पीता है.
भरि भरि पिवै रसाल : भर भर कर रस पीता है.
जग जात है : संसार समाप्त हो रहा है.
विषै न सूझै काल : विषय विकारों में उलझे हुए व्यक्ति को काल (मृत्यु) नहीं दिखाई दे रही है.
कबीर प्यालै प्रेम कै : राम भक्त तो भक्ति रूपी रस के प्याले को भर भर कर पीता है.
भरि भरि पिवै रसाल : भर भर कर रस पीता है.
कबीर साहेब की वाणी है की लोग तेरी मेरी में उलझ कर इस अमूल्य जीवन को नष्ट कर देते हैं. जबकि राम भक्त हर क्षण हरी भक्ति का प्याला भर भर कर पीता हो. भाव है की लोगों को काल दिखाई नहीं देता है, हर वक़्त उनके सर पर काल की तलवार लटक रही होती है लेकिन ज्ञान के अभाव में वे गाफिल हैं. वे इस संसार को ही अपना स्थाई घर मानने लग गए हैं. ऐसे में राम भक्त जन अपने जीवन में पूर्ण आनंद की प्राप्ति करते हैं. प्रस्तुत साखी में रूपक अलंकार की सफल व्यंजना हुई है.