कबीर नाव जरजरी कूड़े खेवणहार मीनिंग कबीर के दोहे

कबीर नाव जरजरी कूड़े खेवणहार मीनिंग Kabir Naav Jarjari Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Bhavarth Sahit)

कबीर नाव जरजरी, कूड़े खेवणहार।
हलके हलके तिरि गए, बूड़े तिनि सिर भार॥
Kabir Naav Jarjari, Kude Khevanhaar.
Halke Halke Tiri Gaye, Bude Tini Sir Bhar.

कबीर नांव जरजरी : नाव जर्जर है, पुरानी है, जीर्ण है.
कूड़े : कूड़े के समान व्यर्थ हैं, उपयोगी नहीं है.
खेवणहार : नाव को खेने वाले, खिवैया.
हलके हलके : जो हलके हैं, जिनकी आत्मा पर पाप का भार नहीं है, संतजन.
तिरि गए : भव से पार हो गए हैं.
बूड़े : डूब गए.
तिनि : जिनके.
सिर भार : जिनके सर पर भार था, जो पाप कर्म से बंधे थे.

सत्कर्म के विषय में कबीर साहेब की वाणी है की जो धर्मी हैं, माया से परे रहकर इश्वर के नाम का सुमिरण करते हैं वे अवश्य ही भाव से पार हो जाते हैं. जिनके मस्तक पर पाप कर्म का भार होता है वे डूब जाते हैं. मानव जीवन को एक नौका के समान बताकर व्यक्ति को इसका खिवैया कहा गया है. कूड़े से आशय है की वह अज्ञान में पड़ा हुआ है और इसी कारण से उसकी नांव जर्जर है. ऐसे में भला कोई कैसे नदी पार (भव पार) कर सकता है. प्रस्तुत साखी में रुप्कातिश्योक्ति और अन्योक्ति अलंकार की सफल व्यंजना हुई है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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