यह तन काचा कुंभ है लिया फिरै था साथि मीनिंग कबीर के दोहे

यह तन काचा कुंभ है लिया फिरै था साथि मीनिंग

यह तन काचा कुंभ है, लिया फिरै था साथि।
ढबका लागा फुटि गया, कछू न आया हाथि॥
Yah Tan Kacha Kumbh Hai, Liya Fire Thaa Sathi,
Dhabka Laga Futi Gaya, Kachhu Na Aaya Haathi.

यह तन : मानव देह.
काचा : कच्चा, कोमल.
कुंभ है : मटका है.
लिया फिरै था साथि : साथ में लिए फिरता है.
ढबका : चोट.
लागा  : लगी.
फुटि गया : फूट गया है.
कछू न आया हाथि: कुछ हाथ नहीं लगा, कुछ प्राप्त नहीं हुआ है.

कबीर साहेब के इस दोहे का भाव है की यह तन कच्चे घड़े के समान है, अत्यंत ही कोमल है. यह एक हलकी सी चोट से भी क्षतिग्रस्त होकर बिखर जाता है. अतः इसका कोई स्थाई आधार नहीं है. व्यक्ति इस तन रूपी मटके को लेकर फिरता रहता है, वह गुमान करता है. लेकिन एक रोज इस जीवन को समाप्त हो ही जाना है. व्यक्ति माया के भ्रम में पड़कर इस जगत को स्थाई समझने लग पड़ता है. लेकिन सत्य यही है की जीवन अत्यंत ही अल्प समय के लिए है और स्थाई नहीं है. हरी भक्ति ही इस जीवन का आधार है. हरी सुमिरण के अभाव में ही जीव को अनेकों प्रकार की यातनाओं को सहना करना पड़ता है. 

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

Next Post Previous Post