मनिषा जनम दुर्लभ है देह न बारम्बार मीनिंग Manisha Janam Durlabh Hai Meaning Kabir Dohe

मनिषा जनम दुर्लभ है देह न बारम्बार मीनिंग Manisha Janam Durlabh Hai Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Hindi Meaning)

मनिषा जनम दुर्लभ है, देह न बारम्बार।
तरवर थैं फल झड़ि पड़ा बहुरि न लागै डार॥
Manisha Janam Durlabh Hai, Deh Na Barambaar,
Tarvar The Fhal Jhadi Pada, Bahuri Na Laage Daar.

मनिषा : मानव जीवन.
जनम दुर्लभ है : जीवन दुर्लभ है, मुश्किल से प्राप्त होता है.
देह न बारम्बार : मानव देह बार बार नहीं मिलती है.
तरवर : तरुवर, पेड़.
थैं से (पेड़ से)
फल झड़ि पड़ा : फल झड कर गिर गया है.
बहुरि : दुबारा.
न लागै डार : डाली के दुबारा नहीं लगता है.

कबीर साहेब की वाणी है की मानव जीवन अत्यंत ही दुर्लभ है. यह मानव जीवन बार बार प्राप्त नहीं होता है. जैसे फल एक बार पेड़ से टूट कर गिर जाता है, वह दुबारा डाल से मिल नहीं पाता है. पेड़ से एक बार फल टूट कर गिरने पर वह शाखा से पुनः नहीं मिल पाता है, शाखा से दुबारा नहीं लग पाता है, ऐसे ही यदि मानव जीवन एक बार हाथ से निकल गया तो पुनः इसको प्राप्त नहीं किया जा सकता है.  इस साखी में द्रष्टान्त अलंकार की सफल व्यंजना हुई है. भाव है की मानव जीवन अत्यंत ही दुर्लभ और कीमती होता है जो अनेकों योनियों के उपरान्त प्राप्त होता है. इसे व्यर्थ ही माया कमाने, धन दौलत को जुटाने में व्यतीत कर देना मुर्खता है क्योंकि यह पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है. इसलिए इस देह को पाकर हरी का सुमिरण करना चाहिए.
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