काया देवल मन धजा हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

काया देवल मन धजा हिंदी मीनिंग Kaya Deval Man Dhaja Lyrics Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning

काया देवल मन धजा, विषे लहरि फहराइ।
मन चाल्याँ देवल चलै, ताका सरबस जाइ॥
Kaaya deval Man Dhaja, Vishe Lahari Faharaai,
Man Chalya Deval Chale, Taaka Sarbas Jaai.

काया : तन, देह.
देवल : देवालय, मंदिर.
मन धजा, : मन ही झंडा है, मन ही पताका है,
विषे लहरि फहराइ : इसमें विषय लहरा रहे हैं.
मन चाल्याँ : चंचल मन चल पड़ता है.
देवल चलै : मंदिर भी चलायमान हो उठता है.
ताका : उसका.
सरबस : सर्वश्व.
जाइ : हो जाता है.

कबीर साहेब की वाणी है की इस तन रूपी मन मंदिर पर मन की ध्वजा लहरा रही है. विषय वासनारूपी हवा से मन रूपी धजा लहरा रही है. जिसका मन विषय वासनाओं के संपर्क में रहता है वह अवश्य ही सर्वनाश का भागी बनता है. मन रूपी ध्वजा विषय वासनाओं के संपर्क में आने पर लहराने लगती है. अतः आवश्यक है की साधक अपने मन की पूर्ण साधना करे और द्वन्द को समाप्त कर दे. द्वन्द यही है, शंका यदि बनी हुई है तो वह किसी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकता है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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