मैंमंता मन मारि रे नान्हाँ करि करि मीनिंग

मैंमंता मन मारि रे नान्हाँ करि करि पीसि हिंदी मीनिंग

मैंमंता मन मारि रे, नान्हाँ करि करि पीसि।
तब सुख पावै सुंदरी, ब्रह्म झलकै सीसि॥
Maimata Man Mari Re, Nanha Kari Kari Pisi,
Tab Sukh Pave Sundari, Brahm Jhalake Sisi.

मैंमंता : मदमस्त, गाफिल जैसे हाथी होता है.
मन मारि रे : मन को मार दो, मन को वश में कर लो.
नान्हाँ करि करि : महीन करके.
पीसि : पीस करो, आटे जैसा महीन पीस लो.
तब सुख पावै सुंदरी  तब जाकर जीवात्मा (इश्वर) के दर्शन कर पाएगी.
ब्रह्म : पूर्ण परम ब्रह्म,
झलकै : प्रकाशित होता है, चमकता है,
सीसि : सर पर.
कबीर साहेब की वाणी है की तुम मतवाले हाथी की भाँती मतवाले और मतान्ध मत बनो. अपने मन को नियंत्रण में रखो. इस पर ब्रह्म ज्ञान की सूक्ष्म चोट करके इसको महीन पीसो. इसकी समस्त क्रियाओं को नियंत्रण में करो और इसे मार दो. तब जाकर कहीं जीवात्मा ब्रह्म रूपी प्रकाशित शीश के दर्शन होते हैं. प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब ने भक्ति साधना के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए मन को नियंत्रित रखने को कहा है. जब मन नियंत्रित होता है इसके उपरान्त ही इश्वर के दर्शन प्राप्त हो सकते हैं. मन को नियंत्रित करने के उपरान्त ही माया से दूर रह सकते हैं. माया से प्रथक होने के लिए सर्वप्रथम मन को नियंत्रित करना आवश्यक है. 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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