मृतक कूँ धी जौ नहीं हिंदी मीनिंग कबीर दोहे

मृतक कूँ धी जौ नहीं हिंदी मीनिंग

मृतक कूँ धी जौ नहीं, मेरा मन बी है।
बाजै बाव बिकार की, भी मूवा जीवै॥
Martak Ku Dhee Jo Nahi, Mera Man Bee Hai,
Baaje Baav Bikaar Ki, Bhi Mua Jeeve.
मृतक कूँ : मरे हुए व्यक्ति को.
धी : बोध होना, जानकारी होना, बुद्धि.
जौ नहीं, मेरा मन : जैसे नहीं (जैसे मृतक के मन को कोई बोध नहीं होता है)
बी है : भय है.
बाजै : चलती है.
बाव : हवा, वायु.
बिकार की : विकारों की, विकारग्रस्त.
भी मूवा जीवै मृतक भी जीवित हो उठता है।

कबीर साहेब की वाणी है की जैसे मृतक के मन को, मृतक को कोई बोध नहीं होता है और वह संसार में किसी भी क्रिया से प्रभावित नहीं होता है, ऐसे ही मैंने मेरे मन को कर लिया है. मेरा मन अब सांसारिक क्रियाओं से मुक्त हो गया है. लेकिन फिर भी मुझे भय है की कहीं जो यह विकारों की आंधी चल रही है उसमें कहीं मेरा मृत मन पुनः जीवित नहीं हो जाए.
भाव है की जगत में विषय विकारों का बोल बाला है ऐसे में मन को दृढ रखना होगा, कहीं विषय विकारों में पुनः यह मन लिप्त ना हो जाए. मन में भक्ति की इच्छा इतनी दृढ होनी चाहिए की वह पुनः विकारों की तरफ ना जाए.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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