माया तरवर त्रिविध का साखा दुख संताप

माया तरवर त्रिविध का साखा दुख संताप हिंदी मीनिंग

माया तरवर त्रिविध का साखा दुख संताप,
माया तरवर त्रिविध का, साखा दुख संताप।
सीतलता सुपिनै नहीं, फल फीको तनि ताप॥
Maaya Tarvar Trividh Ka, Sakha Dukh Santaap,
Seetalata Supine Nahi, Phal Feeko Tani Taap.

माया तरवर त्रिविध का : माया तीन प्रकार के गुणों, रजोगुण, सतोगुण, तमोगुण का एक वृक्ष है.
त्रिविध : तीन गुण.  रजोगुण, सतोगुण, तमोगुण
साखा दुख संताप : दुःख और संताप इसकी शाखाएं हैं.
साखा : शाखा, टहनियां,
दुख संताप : कष्ट कारी, दुखों का कारण.
सीतलता सुपिनै नहीं : शीतलता सपने में भी नहीं हो सकती है/छाया प्राप्त नहीं हो सकती है.
फल फीको तनि ताप : इसका फल फीका और तन को ताप देने वाला होता है.
तनि : शरीर को.
ताप : संताप, दुःख, कष्ट.
कबीर साहेब की वाणी है की माया कष्टकारी और ताप देने वाली होती है. यह  रजोगुण, सतोगुण, तमोगुण का एक वृक्ष है लेकिन इसकी छाया किसी को प्राप्त नहीं हो सकती है, यह शीतलता नहीं देती है. इसे दैहिक, भौतिक और दैविक संतापों से भी अर्थ के रूप में लिया जाता है.
प्रस्तुत साखी में सांगरूपक और व्यक्तिरेक अलंकार की व्यंजना हुई है. भाव है की कोई भी व्यक्ति जो माया के प्रभाव में रहता है सुखी नहीं रह सकता है, वह अवश्य ही दुखी रहता है. उसे सपने में भी सुख का अनुभव नहीं होता है. इसका फल फीका और शरीर को कष्ट देने वाला ही होता है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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