माया की झल जग जल्या कनक काँमणीं लागि मीनिंग Maya Ki Jhal Jag Jalya Meaning Kabir Dohe

माया की झल जग जल्या कनक काँमणीं लागि मीनिंग Maya Ki Jhal Jag Jalya Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Hindi Bhavarth.

माया की झल जग जल्या, कनक काँमणीं लागि।
कहुँ धौं किहि विधि राखिये, रूई पलेटी आगि॥
Maaya Ki Jhal Jag Jalya, Kanak Kamani Laagi,
Kahu Dho Kihi Vidhi Rakhie, Rui Paleti Aagi.

माया की झल जग जल्या : माया की अग्नि में जगत जल गया है.
कनक काँमणीं लागि : कनक और कामिनी के मोह में पड़कर.
कहुँ धौं किहि विधि राखिये : कहिए, बताइए की धुंए को किस भाँती रखा जाए.
रूई पलेटी आगि : आग को रुई में लपेट कर कैसे रखा जा सकता है.
झल : लपट.
जग जल्या : समस्त जगत जल रहा है.
कनक : स्वर्ण.
काँमणीं स्त्री.
कहुँ : कहो, बताओ.
धौं : धुँआ.
किहि विधि राखिये : कैसे रखी जाए.
रूई पलेटी : रुई में लपेटी हुई.
आगि : आग, अग्नि.
कनक और कामिनी की लालसा में यह जगत जल गया है. माया की लपटों में यह जगत जल रहा है. ऐसे में कोई कैसे रुई में अग्नि को लपेट कर रख सकता है. तृष्णा ही रुई में लिपटी हुई अग्नि है जो बढती ही चली जाती है. भाव है की माया का प्रभाव नित्य बढ़ता ही चला जाता है जिसमें व्यक्ति दग्ध होता रहता है. अतः स्पष्ट है की जीवात्मा को माया के प्रभाव से दूर रहना चाहिए. माया के प्रभाव में पड़कर वह इसकी तपन से बच नहीं सकता है. यह अवश्य ही जीवात्मा को जलायेगी क्योंकि इससे बड़े बड़े जीव भी मुक्त नहीं हो पाए हैं.  
प्रस्तुत साखी में निदर्शना अलंकार की व्यंजना हुई है.
निदर्शना अलंकार: Nirdashana Alankar : निदर्शना अलंकार वहां होता है जहां पर वस्तुओं का परस्पर संबंध संभव अथवा असंभव होकर, उनमें बिंब प्रतिबिंब भाव सूचित करता है वहां निदर्शना अलंकार होता है
कहां अल्प मेरी मति, कहाँ काव्य मत गूढ़ |
सागर तरिवो उडुप सौं, चाहत हौं मतिमूढ़ी ||
सुनु खगेश हरिभक्ति विहाइ |
जे सुख चाहहिं  आन  उपाई ||
ते सठ महा सिंधु बिनु तरनी |
पैरी पार  चाहत जड़ करनी ||

अतः जब उपमेय और उपमान में भिन्नता होते हुए भी, एक दूसरे से ऐसा सम्बन्ध स्थापित हुआ हो या उनमें गुणों के आधार पर समानता दिखाई दे, वहाँ निदर्शना अलंकार होता है।
उदाहरण स्वरुप-
यह प्रेम को पंथ कराल महा,तरवारि की धार पै धावनो है.
जहाँ पर उपमेय वाक्य और उपमान वाक्य के अर्थ में भेद होते हुए भी फल एक होने से कारण उसमें अभेद ( समरूपता/समानता ) दर्शाया जाता है , उसे ही निदर्शना अलंकार कहते हैं ।
उदाहरण -
कविता समुझाइबो मुढ़न को
सविता गहि भूमि मै डारिबो है ।
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