साषत बाम्हण जिनि मिलैं बैसनी मिलौ चंडाल

साषत बाम्हण जिनि मिलैं, बैसनी मिलौ चंडाल मीनिंग

साषत बाम्हण जिनि मिलैं, बैसनी मिलौ चंडाल।
अंक माल दे भेटिए, मानूँ मिले गोपाल॥
Sakhat Baahmn Jini Mile Baisani Milo Chandal,
Ank Maal De Bhentiye, Manu Mile Gopal

साषत बाम्हण जिनि मिलैं : शाक्य और ब्राह्मण से मत मिलो.
बैसनी मिलौ चंडाल : भले ही चंडाल से मिल लो, भेंट कर लो.
अंक माल दे भेटिए : चंडाल से ऐसे गले मिलो जैसे.
मानूँ मिले गोपाल : जैसे इश्वर से गले मिलते हैं.
कबीर साहेब कर्मकांड और पाखण्ड के विरोधी थे और वे मानते थे की भक्ति को हृदय से करनी चाहिए. इसी कारण वे कहते हैं की शाक्य और ब्राह्मण से कभी मत भेंट करो भले ही चंडाल से भेंट कर लो. चंडाल से ऐसे मिलो जैसे गोपाल मिले हों. भाव है की दलित/चंडाल से मिलने में कोई हर्ज नहीं है. जो हृदय का शुद्ध है उससे भेंट करो, उसमें इश्वर को ढूंढो. 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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