साषत बाम्हण जिनि मिलैं, बैसनी मिलौ चंडाल मीनिंग Sakhat Baahman Jini Mile Meaning Kabir Ke Dohe

साषत बाम्हण जिनि मिलैं, बैसनी मिलौ चंडाल मीनिंग Sakhat Baahman Jini Mile Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning/Hindi Bhavarth/Hindi Arth

साषत बाम्हण जिनि मिलैं, बैसनी मिलौ चंडाल।
अंक माल दे भेटिए, मानूँ मिले गोपाल॥
Sakhat Baahmn Jini Mile Baisani Milo Chandal,
Ank Maal De Bhentiye, Manu Mile Gopal

साषत बाम्हण जिनि मिलैं : शाक्य और ब्राह्मण से मत मिलो.
बैसनी मिलौ चंडाल : भले ही चंडाल से मिल लो, भेंट कर लो.
अंक माल दे भेटिए : चंडाल से ऐसे गले मिलो जैसे.
मानूँ मिले गोपाल : जैसे इश्वर से गले मिलते हैं.
कबीर साहेब कर्मकांड और पाखण्ड के विरोधी थे और वे मानते थे की भक्ति को हृदय से करनी चाहिए. इसी कारण वे कहते हैं की शाक्य और ब्राह्मण से कभी मत भेंट करो भले ही चंडाल से भेंट कर लो. चंडाल से ऐसे मिलो जैसे गोपाल मिले हों. भाव है की दलित/चंडाल से मिलने में कोई हर्ज नहीं है. जो हृदय का शुद्ध है उससे भेंट करो, उसमें इश्वर को ढूंढो. 
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