श्याम चौरासी श्री कृष्णा भजन
श्याम चौरासी श्री कृष्णा भजन
श्री श्याम चोपाई ।।
।। दोहा ।।
नागसुता सुत श्याम को, सुमिरुं बारम्बार ।
खाटू वाले श्यामजी, सब जग के दातार।
काव्य कला जानूं नहीं, अहूं निपट अज्ञान ।
ज्ञान ध्यान मोहि दीजिए, आकर कृपानिधान ।
गुरु पद पंकज ध्यान धर, सुमिर सच्चीदानंद ।
श्याम चोरासी भजत हूँ, रच चोपाई छन्द ।।
।। दोहा ।।
नागसुता सुत श्याम को, सुमिरुं बारम्बार ।
खाटू वाले श्यामजी, सब जग के दातार।
काव्य कला जानूं नहीं, अहूं निपट अज्ञान ।
ज्ञान ध्यान मोहि दीजिए, आकर कृपानिधान ।
गुरु पद पंकज ध्यान धर, सुमिर सच्चीदानंद ।
श्याम चोरासी भजत हूँ, रच चोपाई छन्द ।।
।। चोपाई ।।
महर करो जन के सुखरासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
प्रथम शीश चरण में नाऊं ।
कृपा दृष्टि रावरी चाहूं ।।
माफ़ सभी अपराध कराऊँ ।
आदि कथा सुछन्द रच गाऊं ।।
भक्त सुजन सुनकर हरसासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
कुरु पांडव में विरोध जब छाया ।
समर महाभारत रचवाया ।।
बली एक बर्बरीक आया ।
तीन सुबाण साथ में लाया ।।
यह लखि हरि को आई हांसी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
मधुर वचन तब कृष्ण सुनाए ।
समर भूमि केही कारण आए ।।
तीन बाण धनु कंध सुहाए ।
अजब अनोखा रूप बनाए ।।
बाण अपार वीर सब ल्यासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक इतने दल माहीं ।
तीन बाण की गिनती नाहीं ।।
योद्धा एक से एक निराले ।
वीर बहादुर अति मतवाले ।।
समर सभी मिल कठिन मचासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक मम कहना मानो ।
समर भूमि तुम खेल न जानो ।।
भीषम द्रोण कृप आदि जुझारा ।
जिनसे पारथ का मन हारा ।।
तू क्या पे पेस इन्हीं से पासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक हरि से यों कहता ।
समर देखना मैं हूँ चाहता ।।
कौन बली रणशुर निहारूँ ।
वीर बहादुर कौन जुझारु ।।
तीन लोक त्रिबाण से मारूं ।
हंसता रहूं कभी न हारूं ।
सत्य कहूं हरि झूठ न जानो ।
दोनों दल इक तरफ हों मानो ।।
एक बाण दल दोऊ खपासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक से हरि फरमावे ।
तेरी बात समझ नहीं आवे ।।
प्राण बचाओ तुम घर जाओ ।
क्यों नादानपना दिखलाओ ।।
तेरी जान मुफ्त में जासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
गर विशवास न तुम्हें मुरारी ।
तो कर लीजे जांच हमारी ।।
यह सुन कृष्ण बहुत हर्षाए ।
बर्बरीक से वचन सुनाए ।।
मैं अब लेहूं परीछा खासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
महर करो जन के सुखरासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
प्रथम शीश चरण में नाऊं ।
कृपा दृष्टि रावरी चाहूं ।।
माफ़ सभी अपराध कराऊँ ।
आदि कथा सुछन्द रच गाऊं ।।
भक्त सुजन सुनकर हरसासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
कुरु पांडव में विरोध जब छाया ।
समर महाभारत रचवाया ।।
बली एक बर्बरीक आया ।
तीन सुबाण साथ में लाया ।।
यह लखि हरि को आई हांसी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
मधुर वचन तब कृष्ण सुनाए ।
समर भूमि केही कारण आए ।।
तीन बाण धनु कंध सुहाए ।
अजब अनोखा रूप बनाए ।।
बाण अपार वीर सब ल्यासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक इतने दल माहीं ।
तीन बाण की गिनती नाहीं ।।
योद्धा एक से एक निराले ।
वीर बहादुर अति मतवाले ।।
समर सभी मिल कठिन मचासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक मम कहना मानो ।
समर भूमि तुम खेल न जानो ।।
भीषम द्रोण कृप आदि जुझारा ।
जिनसे पारथ का मन हारा ।।
तू क्या पे पेस इन्हीं से पासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक हरि से यों कहता ।
समर देखना मैं हूँ चाहता ।।
कौन बली रणशुर निहारूँ ।
वीर बहादुर कौन जुझारु ।।
तीन लोक त्रिबाण से मारूं ।
हंसता रहूं कभी न हारूं ।
सत्य कहूं हरि झूठ न जानो ।
दोनों दल इक तरफ हों मानो ।।
एक बाण दल दोऊ खपासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक से हरि फरमावे ।
तेरी बात समझ नहीं आवे ।।
प्राण बचाओ तुम घर जाओ ।
क्यों नादानपना दिखलाओ ।।
तेरी जान मुफ्त में जासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
गर विशवास न तुम्हें मुरारी ।
तो कर लीजे जांच हमारी ।।
यह सुन कृष्ण बहुत हर्षाए ।
बर्बरीक से वचन सुनाए ।।
मैं अब लेहूं परीछा खासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
पात विटप के सभी निहारो ।
बेध एक शर से डारो ।।
कह इतना एक पात मुरारी ।
दबा लिया पद तले करारी ।।
अजब रची माया अविनाशी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक धनु-बाण चढाया ।
जानी जाय न हरि की माया ।।
विटप निहार बली मुस्काया ।
अजित अमर अहिलावति जाया ।।
बली सुमिर शिव बाण चालीसा ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बाण बली ने अजब चलाया ।
पत्ते बेध विटप के आया ।।
गिरा कृष्ण के चरणों माहीं ।
बिंधा पात हरि चरण हटाहीं ।।
इससे कौन फतेह किमि पासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
कृष्ण बली कहै बताओ ।
किस दल की तुम जीत कराओ ।।
बली हार का दल बतलाया ।
यह सुन कृष्ण सनाका खाया ।।
विजय किस विध पारथ पासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
छल करना तब कृष्ण विचारा ।
बली से बोले नन्द कुमारा ।।
ना जाने क्या ज्ञान तुम्हारा ।
बेध एक शर से डारो ।।
कह इतना एक पात मुरारी ।
दबा लिया पद तले करारी ।।
अजब रची माया अविनाशी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बर्बरीक धनु-बाण चढाया ।
जानी जाय न हरि की माया ।।
विटप निहार बली मुस्काया ।
अजित अमर अहिलावति जाया ।।
बली सुमिर शिव बाण चालीसा ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बाण बली ने अजब चलाया ।
पत्ते बेध विटप के आया ।।
गिरा कृष्ण के चरणों माहीं ।
बिंधा पात हरि चरण हटाहीं ।।
इससे कौन फतेह किमि पासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
कृष्ण बली कहै बताओ ।
किस दल की तुम जीत कराओ ।।
बली हार का दल बतलाया ।
यह सुन कृष्ण सनाका खाया ।।
विजय किस विध पारथ पासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
छल करना तब कृष्ण विचारा ।
बली से बोले नन्द कुमारा ।।
ना जाने क्या ज्ञान तुम्हारा ।
कहना मानो बली हमारा ।।
हो इक तरफ नाम पा जासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
कहै बर्बरीक कृष्ण हमारा ।
टूट न सकता प्रण ये करारा ।।
मांगे दान उसे मैं देता ।
हारा देख सहारा देता ।।
सत्य कहूं ना झूठ जरा सी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बेशक वीर बहादुर तुम हो ।
जंचते दानी हमें न तुम हो ।।
कहै बर्बरीक हरि बतलाओ ।
तुमको चाहिए क्या बतलाओ ।
जो मांगे सो हमसे पासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
बली अगर तुम सच्चे दानी ।
तो मैं तुमसे कहूँ बखानी ।।
समर भूमि बली देने खातिर ।
शीश चाहिए एक बहादुर ।।
शीश दान दे नाम कमासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
हम तुम अर्जुन तीनों भाई ।
शीश दान दे को बलदाई ।।
जिसको आप योग्य बतलावें ।
वही शीश बलिदान चढ़ावें ।।
आवागमन मिटे चोरासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
अर्जुन नाम समर में पावे ।
तुम बिन सारथी कौन कहावे ।।
शीश दान दीन्हौं भगवाना ।
भारत देखन मन ललचाना ।।
शीश शिखर गिरि पर धरवासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
शीश दान बर्बरीक दिया है ।
हरि ने गिरि पर धरा दिया है ।।
समर अठारह रोज हुआ है ।
कुरु दल सारा नाश हुआ है ।।
विजय पताका पाण्डु फहरासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
भीम नकुल सहदेव और पारथ ।
करते निज तारीफ अकारथ ।।
यों सोच मन में यदुराया ।
इनके दिल अभिमान है छाया ।।
हरि भगतों का दुःख मिटासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
पारथ भीम आदि बलधारी ।
से यों बोले गिरवरधारी ।।
किसने विजय समर में पाई ।
पूछो वीर बर्बरीक से भाई ।।
सत्य बात सिर सभी बतासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
हरि सबको संग ले गिरवर पर ।
सिर बैठा था मगन शिखर पर ।।
जा पहुँचे झटपट नन्दलाला ।
पुनि पूछा सिर से सब हाला ।।
शीश दान है खुद अविनाशी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
हरि यों कहै सही फरमाओ ।
समर जीत है कौन बताओ ।।
बली कहै मैं सत्य बताऊं ।
नहीं पितु चचा बलि न ताऊ ।।
भगवद ने पाई शाबाशी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
चक्र सुदर्शन है बलदाई ।
काट रहा था दल जिमि काई ।।
रूप द्रौपदी काली का धर ।
हो विकराल ले कर में खप्पर ।।
भर-भर रुधिर पिए थी प्यासी ।।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
मैंने जो कछु समर निहारा ।
सत्य सुनाया हाल है सारा ।।
सत्य वचन सुनकर यदुराई ।
वर दीन्हा सिर को हर्षाई ।।
श्याम रूप मम धार पुजासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
कलि में तुमको श्याम कन्हाई ।
पूजेंगे सब लोग लुगाई ।।
खीर चूरमा भोग लगावे ।
माखन मिश्री खूब चढ़ावे ।।
मन वच कर्म से जो कोई ध्यासी ।
इचिछत फल सो ही पा जासी ।।
अन्त समय सद्गगति पा जासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
सागर सा धनवान बनाना ।।
पतनी गोद में सुवन खिलाना ।।
सेवक आया शरण तिहारी ।
श्रीपति यदुपति कुंज बिहारी ।।
सब सुख दायक आनन्द रासी ।
सांवलशाह खाटू के वासी ।।
।। चोपाई ।।
श्याम चोरासी है रची, भक्त जनन के हेतु ।
पवन निशि बासर पढ़े, सकल सुमंगल हेतु ।।
लख चोरासी छूटीए , श्याम चोरासी गाय ।
अछत अपार फल पायकर , आवागमन मिटाए ।।
श्याम चोरासी है रची, भक्त जनन के हेतु ।
पवन निशि बासर पढ़े, सकल सुमंगल हेतु ।।
लख चोरासी छूटीए , श्याम चोरासी गाय ।
अछत अपार फल पायकर , आवागमन मिटाए ।।
भजन श्रेणी : खाटू श्याम जी भजन (Khatu Shyam Ji Bhajan)
श्याम चौरासी || Shyam Chorasi || Mahendra Kapoor || Shree Khatu Shyam Baba | Janmashtami 2021
Title - Shyam Chorasi
Singer - Mahendra Kapoor
Music - Raj Kamal
Writer - Das Kumar
Special Thanks to Shree Kamal Kishor Sharma
Singer - Mahendra Kapoor
Music - Raj Kamal
Writer - Das Kumar
Special Thanks to Shree Kamal Kishor Sharma
श्री श्याम चोपाई खाटू श्याम जी की महिमा, उनके भक्तों के प्रति अनन्य प्रेम और उनके दिव्य कार्यों का वर्णन करती है। यह भक्ति स्तोत्र भगवान के बाल रूप बाला मुकुंद के प्रेमपूर्ण रूप की स्मृति कराता है, जिसमें उनका वटपत्र पर सोना और उनके पदकमलों में मन लगाकर ध्यान करना बताया गया है। चोपाई में महाभारत युद्ध के भीष्म पितामह के शिष्य बर्बरीक की कथा का उल्लेख है, जिन्होंने अपने तीन बाणों से युद्ध की गाथा और भगवान के प्रति भक्ति का उदाहरण स्थापित किया। यह स्तोत्र श्याम के अनेक नामों का जाप करता है और भक्तों की रक्षा, शुभफल की कामना, तथा समस्त दुःखों के नाश की कामना करता है। इसमें खाटू श्याम जी की शक्ति, कृपा, और भक्तों के प्रति उनकी सहायता की महिमा को सजीवता से प्रस्तुत किया गया है, जो हर भक्त के जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति लाता है।
यह भजन भी देखिये
यह भजन भी देखिये
ऐसे ही अन्य भजन देखने के लिए कृपया होम पेज पर अवश्य विजिट करें।
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |
