श्री सुमतिनाथ चालीसा लिरिक्स Sumatinath Chalisa Lyrics

श्री सुमतिनाथ चालीसा लिरिक्स Sumatinath Chalisa Lyrics, Benefits of Sumatinath Chalisa, Aarti Pujan in Hindi

भगवान श्री सुमतिनाथ जी जैन धर्म के पांचवें तीर्थंकर (Bhagwan Sumit Nath, Sumitnath Tirthankar) हैं। जैन धर्म के अनुसार भगवान श्री सुमतिनाथ जी ने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया है। जैन धर्म के पाँचवें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ जी के चालीसा पाठ से सभी रोग दोष दूर होते हैं और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। श्री सुमतिनाथ चालीसा पाठ से सभी दुख दूर होते हैं। जीवन में समृद्धि और प्रतिष्ठा की प्राप्ति के लिए भगवान सुमतिनाथ का चालीसा पाठ करना चाहिए। सच्चे मन से भगवान सुमतिनाथ चालीसा का पाठ करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। भगवान सुमतिनाथ चालीसा का पाठ करने से मन शांत एवं सरल होता है। भगवान सुमतिनाथ चालीसा के पाठ से व्यक्ति के मन में करुणा का भाव उत्पन्न होता है और वह लोगों की मदद करने की ओर अग्रसर होता है। 

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मन को निर्मल और पावन बनाने के लिए सुमतिचालीसा का पाठ करना चाहिए। भगवान श्री सुमतिनाथ चालीसा का पाठ करने से सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है और भगवान सुमतिनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार और शक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान श्री सुमतिनाथ चालीसा का पाठ करना चाहिए। भगवान श्री सुमतिनाथ चालीसा का पाठ करने से सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने की हिम्मत आती है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है जैन मतानुसार भगवान सुमतिनाथ जी को चैत्र शुक्ल एकादशी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ था। जैन धर्म में भगवान श्री सुमतिनाथ चालीसा पाठ का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। 

भगवान सुमति नाथ चालीसा लिरिक्स इन हिंदी Sumati Nath Chalisa Lyrics in Hindi : Popular Jain Chalisa Lyrics in Hindi

दोहा
श्री सुमतिनाथ का करूणा निर्झर, भव्य जनों तक पहूँचे झर झर,
नयनों में प्रभु की छवी भर कर, नित चालीसा पढे सब घर घर।
चौपाई
जय श्री सुमतिनाथ भगवान, सब को दो सदबुद्धि दान।
अयोध्या नगरी कल्याणी,  मेघरथ राजा मंगला रानी।
दोनो के अति पुण्य पर्रजारे, जो तीर्थंकर सुत अवतारे।
शुक्ला चैत्र एकादशी आई, प्रभु जन्म की बेला आई।
तीन लोक में आनंद छाया, नरकियों ने दुःख भुलाया।
मेरू पर प्रभु को ले जा कर, देव न्हवन करते हर्षाकार।
तप्त स्वर्ण सम सोहे प्रभु तन, प्रगटा अंग-प्रतयंग में योवन।
ब्याही सुन्दर वधुएं योग, नाना सुखों का करते भोग।
राज्य किया प्रभु ने सुव्यवस्थित, नही रहा कोई शत्रु उपस्थित।
हुआ एक दिन वैराग्य जब, नीरस लगने लगे भोग सब।
जिनवर करते आत्म चिन्तन, लौकान्तिक करते अनुमोदन।
गए सहेतुक नावक वन में, दीक्षा ली मध्याह्म समय में।
बैसाख शुक्ला नवमी का शुभ दिन, प्रभु ने किया उपवास तीन दिन।
हुआ सौमनस नगर विहार, धुम्नधुति ने दिया आहार।
बीस वर्ष तक किया तप घोर, आलोकित हुए लोका लोक।
एकादशी चैत्र की शुक्ला, धन्य हुई केवल रवि निकाला।
समोशरण में प्रभु विराजे, दृवादश कोठे सुन्दर साजे।
दिव्यध्वनि जब खिरी धरा पर, अनहद नाद हुआ नभ उपर।
किया व्याख्यान सप्त तत्वो का, दिया द्रष्टान्त देह नौका का।
जीव-अजिव-आश्रव बन्ध, संवर से निर्जरा निर्बन्ध।
बन्ध रहित होते है सिद्ध, है यह बात जगत प्रसिद्ध।
नौका सम जानो निज देह, नाविक जिसमें आत्म विदह।
नौका तिरती ज्यो उदधि में, चेतन फिरता भवोदधि में।
हो जाता यदि छिद्र नाव में, पानी आ जाता प्रवाह में।
ऐसे ही आश्रव पुद्गल में, तीन योग से हो प्रतीपल में।
भरती है नौका ज्यो जल से, बँधती आत्मा पुण्य पाप से।
छिद्र बन्द करना है संवर, छोड़ शुभाशुभ-शुद्धभाव धर।
जैसे जल को बाहर निकाले, संयम से निर्जरा को पाले।
नौका सुखे ज्यों गर्मी से, जीव मुक्त हो ध्यानाग्नि से।
ऐसा जान कर करो प्रयास, शाश्वत सुख पाओ सायास।
जहाँ जीवों का पुन्य प्रबल था, होता वही विहार स्वयं था।
उम्र रही जब एक ही मास, गिरि सम्मेद पे किया निवास।
शुक्ल ध्यान से किया कर्मक्षय, सन्धया समय पाया पद अक्षय।
चैत्र सुदी एकादशी सुन्दर, पहुँच गए प्रभु मुक्ति मन्दिर।
चिन्ह प्रभु का चकवा जान, अविचल कूट पूजे शुभथान।
इस असार संसार में , सार नही है शेष।
हम सब चालीसा पढे, रहे विषाद न लेश।  

श्री सुमतिनाथ जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी Sumatinath Aarti Lyrics in Hindi

आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।

इक्ष्वाकुवंश के भास्कर, हे स्वर्णप्रभा के धारी।
सुर, नर, मुनिगण ने मिलकर, तव महिमा सदा उचारी।
आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।१।।

साकेतपुरी में जन्मे, माता सुमंगला हरषीं।
जनता आल्हादिक मन हो, आकर तुम वन्दन करती।
आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।२।।

श्रावण शुक्ला दुतिया को, प्रभु गर्भकल्याण हुआ है।
फिर चैत्र शुक्ल ग्यारस को, सुरपति ने न्हवन किया है।
आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।३।।

वैशाख शुक्ल नवमी तिथि, लौकान्तिक सुरगण आए।
सिद्धों की साक्षीपूर्वक, दीक्षा ले मुनि कहलाए।
आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।४।।

निज जन्म के दिन ही प्रभु को, केवल रवि प्रगट हुआ था।
इस ही तिथि शिवरमणी ने, आ करके तुम्हें वरा था।
आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।५।।

सम्मेदशिखर की पावन, वसुधा भी धन्य हुई थी।
देवों के देव को पाकर, मानो कृतकृत्य हुई थी।
आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।६।।

उस मुक्तिथान को प्रणमूं, नमूं पंचकल्याणक स्वामी।
‘‘चंदनामती’’ तुम आरति, दे पंचमगति शिवगामी।
आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता, त्रैलोक्य ईश्वर की।।७।। 

Aarti Shri Chouis Bhagwan Ki

ऋषभ अजित संभव अभिनंदन, सुमति पद्म सुपार्श्व की जय |
महाराज की श्रीजिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय |

चंद्र पुष्प शीतल श्रेयांस, वासुपूज्य महाराज की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय |

विमल अनंत धर्म जस उज्ज्वल, शांतिनाथ महाराज की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय |

कुंथ अरह और मल्लि मुनिसुव्रत, नमिनाथ महाराज की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय |

नेमिनाथ प्रभु पार्श्व जिनेश्वर, वर्द्धमान महाराज की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय |

इन चौबीसों की आरती करके, आवागमन-निवार की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय |
 


भजन श्रेणी : जैन भजन (Read More : Jain Bhajan)

श्री सुमतिनाथ चालीसा लिरिक्स Sumatinath Chalisa Lyrics

Aarti Sumati Jineshwar Ki,
Sumati Pradata, Mukti Vidhata,
Trilokya Ishwar Ki.

Ikshvaku Vansh Ke Bhaskar,
Hai Swarnprabha Ke Dhari.
Sur, Nar, Munigan Ne Milkar,
Tav Mahima Sada Uchari.
Aarti Sumati Jineshwar Ki,
Sumati Pradata, Mukti Vidhata,
Trilokya Ishwar Ki.

Saketpuri Me Janme,
Mata Sumangala Harshi.
Janta Aalhadik Man Ho,
Aakar Tum Vandan Karti.
Aarti Sumati Jineshwar Ki,
Sumati Pradata, Mukti Vidhata,
Trilokya Ishwar Ki.

Sharawan Shukla Dutiya Ko,
Prabhu Garbh Kalyanak Hua Hai.
Fir Chaitra Shukla Gyaras Ko,
Surapati Ne Nhawan Kiya Hai.
Aarti Sumati Jineshwar Ki,
Sumati Pradata, Mukti Vidhata,
Trilokya Ishwar Ki.

Vaishak Shukla Naomi Tithi,
Lokantik Suragan Aaye.
Siddho Ki Sakshipurvak,
Diksha Le Muni Kehlaye.
Aarti Sumati Jineshwar Ki,
Sumati Pradata, Mukti Vidhata,
Trilokya Ishwar Ki.

Nij Janm Ke Dino Hi Prabhu Ko,
Keval Ravi Pragat Hua Tha.
Is Hi Tithi Shivramni Ne,
Aa Karke Tumhe Vara Tha.
Aarti Sumati Jineshwar Ki,
Sumati Pradata, Mukti Vidhata,
Trilokya Ishwar Ki.

Sammed Shikhar Ki Paawan,
Vasudha Bhi Dhanya Hui Thi.
Devo Ke Dev Ko Paakar,
Mano Krutkrutya Huyi Thi.
Aarti Sumati Jineshwar Ki,
Sumati Pradata, Mukti Vidhata,
Trilokya Ishwar Ki.

Us Mukti Sthan Ko Pranamu,
Namu Panchkalyanak Swami.
‘‘Chandanamati’’ Tum Aarti,
De Panchagati Shivagami.
Aarti Sumati Jineshwar Ki,
Sumati Pradata, Mukti Vidhata,
Trilokya Ishwar Ki.


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