सागर तट पर बैठ अकेले रटता तेरा नाम

सागर तट पर बैठ अकेले रटता तेरा नाम

सागर तट पर बैठ अकेले,
रटता तेरा नाम,
कब आएगा तू गिरधारी,
देर हुई घनश्याम,
सागर तट पर बैठ अकेले,
रटता तेरा नाम।

करता पल पल तेरा वंदन,
युग युग का प्यासा मेरा मन,
भूल हुई क्या मुझसे मोहन,
तोड़ दिया तुमने मेरा मन,
करले अब स्वीकार मुरारी,
तू मेरा प्रणाम,
कब आएगा तू गिरधारी,
देर हुई घनश्याम,
सागर तट पर बैठ अकेले,
रटता तेरा नाम।

बहुत हुआ ये खेल तमाशा,
अब तेरे चरणों की आशा,
सुनने को वह तान मधुर,
फिर तरस रहे हैं कान भी
डर है दर्शन बिन,
जीवन की ढल ना जाए शाम,
कब आएगा तू गिरधारी,
देर हुई घनश्याम,
सागर तट पर बैठ अकेले,
रटता तेरा नाम।

चारों और, घिरे अंधियारा,
नाथ ना अपना, एक सहारा,
दया दृष्टि प्रभु, अपनी कर दो,
दो कुछ सेवा का वर दो,
सुधि पतवार पकड़,
खीताने नैया आठों याम,
कब आएगा तू गिरधारी,
देर हुई घनश्याम,
सागर तट पर बैठ अकेले,
रटता तेरा नाम।

सागर तट पर बैठ अकेले,
रटता तेरा नाम,
कब आएगा तू गिरधारी,
देर हुई घनश्याम,
सागर तट पर बैठ अकेले,
रटता तेरा नाम।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)

भजन श्रेणी : खाटू श्याम जी भजन (Khatu Shyam Ji Bhajan)


Sagar Tat Par Baith Akela - Jasvant Singh | Audio | Krishna Bhajan

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