दस द्वारे का पिंजरा तामें पंछी का कौन हिंदी मीनिंग Das Dware Ka Pinjara Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth / Arth
दस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी का कौन/मौन।
रहे को अचरज है, गए अचम्भा कौन॥
Das Dware Ka Pinjara, Tame Panchhi Moun,
Rahe Ko Achraj hai, Gaye Achambha Koun.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
दस द्वार के पिंजरे में जीवात्मा रूपी पंच्छी है। यह पंछी मौन है, इसमें किस प्रकार का आश्चर्य है ? एक रोज वह उड़ जाएगा। कबीर साहेब कहते हैं की मानव शरीर दस द्वार वाला है, यह देह एक पिंजरे के समान है जिसके दस द्वार हैं। इसमें आत्मा रूपी पंछी रहता है, एक रोज वह उड़ जाएगा इसका आश्चर्य नहीं है, उसे तो जाना ही है लेकिन वह इतने दिन तक इसमें रहा इसका आश्चर्य है। यह पंछी ज्यादा बात नहीं करता है, वह मौन ही रहता है.
मानव देह/शरीर एक पिंजरे के समान है, आत्मा इसमें पंछी की भाँती रहती है। हमारा शरीर दस द्वारों से बना है: दो आंखें, दो कान, एक नाक, एक मुंह, एक गुदा और दो मूत्राशय. इन दस द्वारों से प्राण वायु शरीर में प्रवेश करती है और बाहर निकलती है. प्राण वायु शरीर को जीवित रखती है, लेकिन अगर यह किसी भी द्वार से बाहर निकल जाती है, तो शरीर मर जाता है.
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