शिव शंकर डमरू वाले

शिव शंकर डमरू वाले

शिव शंकर डमरू वाले,
पीते हैं भंग के प्याले,
देवों में देव निराले,
है बाबा शमशानी,
ये रचते खेल निराले,
बाबा औघड़ दानी,
शिव शंकर डमरू वाले।

लम्बी लम्बी जटाएं धारे,
रूप बड़ा अलबेला,
भूत प्रेत बेताल का संग में,
रखते हर दम मेला,
कैलाश पे रहने वाले,
ये तो हैं बर्फानी,
ये रचते खेल निराले,
बाबा औघड़ दानी,
शिव शंकर डमरू वाले।

एक तो विषधर गले में,
उस पर है विष कंठ में धारे,
थर थर कांपे देव असुर,
सब इनके क्रोध के मारे,
कर्मी है त्रिशूल संभाले,
ये तो अन्तर्यामी,
ये रचते खेल निराले,
बाबा औघड़ दानी,
शिव शंकर डमरू वाले।

धीरज धारी रहते हरदम,
व्याकुल कभी न होते,
इनकी कृपा से सब,
भक्तों के वारे न्यारे होते,
दीवाने और दिलवाले,
सब इनके हैं हंगामी,
ये रचते खेल निराले,
बाबा औघड़ दानी,
शिव शंकर डमरू वाले।
 

शिव शंकर डमरू वाले | Shiv Shankar Damru Wale | Lord Shiva Latest Hit Bhajan | Nisha Arora | Full HD

भगवान शिव के डमरू को सृष्टि का मूल माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि डमरू से ही ध्वनि की शुरुआत हुई थी। एक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव ने ब्रह्मांड की रचना की थी, तो उन्होंने डमरू बजाया था। डमरू की ध्वनि से ही ब्रह्मांड में प्रकाश, ऊर्जा और जीवन का जन्म हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, डमरू भगवान शिव के नृत्य का प्रतीक है।
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