दुख में सुमरिन सब करे सुख में मीनिंग
दुख में सुमरिन सब करे सुख में करे न कोय मीनिंग
दुख में सुमरिन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमरिन करे, दुख काहे को होय॥
जो सुख में सुमरिन करे, दुख काहे को होय॥
Or
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
Dukh Me Sumiran Sab Kare, Sukh Me Kare Na Koy,
Jo Sukh Me Sumiran Kare, Dukh Kahe Ko Hoy.
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की दुख में सभी राम के नाम का सुमिरन करते हैं लेकिन सुख में कोई भी सुमिरन नहीं करता है। यदि सुख के समय इश्वर को याद रखा जाय और सत्य का अनुसरण किया जाय तो दुख होना संभव ही नहीं है।
दुख में सुमिरन सब करे शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning
दुख में सुमरिन सब करे - जब हम दुख में होते हैं, तो हम सभी भगवान की भक्ति और ध्यान करते हैं। यहां "सुमरिन" का अर्थ है भगवान की स्तुति, हरी के नाम का जाप या उनकी पूजा करना।
सुख में करे न कोय - सुख में कोई नहीं करता है (हरी नाम सुमिरन)
जो सुख में सुमरिन करे, दुख काहे को होय - जो व्यक्ति सुख में भगवान की स्तुति करता है तो दुख कैसा, कोई दुख नहीं होता है.
सुख में करे न कोय - सुख में कोई नहीं करता है (हरी नाम सुमिरन)
जो सुख में सुमरिन करे, दुख काहे को होय - जो व्यक्ति सुख में भगवान की स्तुति करता है तो दुख कैसा, कोई दुख नहीं होता है.
दुख में सुमिरन सब करे हिंदी मीनिंग/भावार्थ Dukh Me Sumiran Meaning in Hindi (Kabir Doha)
सुख और दुख भौतिक हैं, आत्मा सदा प्रसन्न रहती है। व्यक्ति स्वंय को जगत के झूठे सम्बन्ध, माया आदि से स्वंय को जोडकर दुखी हो जाता है। दुख के समय जब वह अकेला पड़ जाता है तो इश्वर याद आता है। लेकिन वह सुख के समय इश्वर को भूल जाता है क्योंकि उसके आस पास के लोग, धन दौलत उसे इतना समय और बुद्धि ही नहीं देते हैं की वह इश्वर को याद कर सके। लेकिन जैसे ही सुख समाप्त हो जाता है उसे फिर से ईश्वर याद आता है।
अतः कबीर साहेब की वाणी है की हमें हर स्थिति में इश्वर के नाम का सुमिरन करना चाहिए, चाहे वह सुख की अवस्था हो या फिर दुख की। हमें हर स्थिति में परमात्मा को नहीं भूलना चाहिए, यही नित्य सुख की कुंजी है।
अतः कबीर साहेब की वाणी है की हमें हर स्थिति में इश्वर के नाम का सुमिरन करना चाहिए, चाहे वह सुख की अवस्था हो या फिर दुख की। हमें हर स्थिति में परमात्मा को नहीं भूलना चाहिए, यही नित्य सुख की कुंजी है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |
