पढ़ि पढ़ि और समुझाबै खोजि ना आप शरीर हिंदी मीनिंग
पढ़ि पढ़ि और समुझाबै, खोजि ना आप शरीर,
आपहि संसय मे परे, यूँ कहि दास कबीर।
Padhi Padhi Aur Samujhave, Khoji Na Aap Sharir,
Aapahi Sanshay Me Pare, Yu Kahi Daas Kabir.
पढ़ि पढ़ि और समुझाबै खोजि ना आप शरीर हिंदी मीनिंग
कबीर साहेब ग्यानी और पंडितों के विषय में कथन देते हैं की वह किताबों को पढ़ पढ़ कर लोगों को समझाता है लेकिन वह स्वंय को नहीं जान पाता है। सत्य यह है की वह स्वंय ही संशय में पड़ा रहता है, ऐसा कबीर साहेब कहते हैं। किताबी ज्ञान पर कबीर साहेब का कटाक्ष है की लोग किताबों को पढ़ते हैं, अधिक पढ़ते हैं और अधिक से अधिक सूचनाओं को अपने मष्तिस्क में ठूंसते रहते हैं. वे स्वंय की खोज नहीं करते हैं, स्वंय की खोज के अभाव में वे तत्व ज्ञान को भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं। अधिक किताबों से तरह तरह के विचार उनके मष्तिस्क में घूमते हैं और वे दुविधा में पड़ जाते हैं, वे संशय में रहते हैं और किसी निष्कर्ष पर नहीं पंहुच पाते हैं. अतः कबीर साहेब की वाणी है की किताबी ज्ञान को छोड़ कर हमें तत्व ज्ञान को आधार बना कर गुरु के बताये गये मार्ग का अनुसरण करना चाहिये.
कबीर साहेब का मानना है कि किताबी ज्ञान को छोडकर हमें तत्व ज्ञान को आधार बना कर गुरु के बताए गए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए. इससे हमारी दुविधा मिटेगी और हम एक निष्कर्ष पर पहुंच पाएंगे. तत्व का ज्ञान यही है कि शुद्ध हृदय से हरी के नाम का सुमिरन ही हमें मुक्ति के मार्ग तक ले जाता है. हमारे आचरण में शुद्धता होनी चाहिए, मानवता और सत्य को हमें आधार मान कर चलना चाहिए.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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