नाग पंचमी को भूलकर भी न बनाएं रोटियां

नाग पंचमी को भूलकर भी न बनाएं रोटियां Naagpanchmi Ko Kya Kare Kya Nahi

सनातन धर्म में ऐसे कई त्योंहार (festivals) तिथियां और अवसर हैं, जब हमें रोटी बनाना वर्जित बताया गया है। ऐसी मान्यता है की इन अवसरों पर रोटी बनाने से मां अन्नपूर्णा और धन की देवी लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं.नागपंचमी के दिन हिंदू धर्म में कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना होता है. इन नियमों में से एक नियम है कि इस दिन रसोई में तवा नहीं रखा जाता है और रोटी नहीं बनाई जाती है. ऐसा इसलिए माना जाता है कि तवा राहु का प्रतीक है और राहु को अशुभ माना जाता है. इस दिन खाना बनाने के लिए कढ़ाई या पतीले जैसे बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है. कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए ये दिन सर्वश्रेष्ठ अवसर माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे काम है जो नाग पंचमी पर नहीं करना चाहिए, वरना आने वाली 7 पीढ़ियों तक इसका दोष भुगतना पड़ता है.
 
नाग पंचमी को भूलकर भी न बनाएं रोटियां Naagpanchmi Ko Kya Kare Kya Nahi
 

नाग पंचमी पे ये काम भूलकर भी ना करें-

नागपंचमी के दिन रोटी बनाना अशुभ होता है क्योंकि इस दिन नाग देवता की पूजा होती है. माना जाता है कि अगर इस दिन रोटी बनाई जाती है तो नाग देवता नाराज हो जाते हैं और घर में अन्न की कमी हो जाती है.
 
नाग पंचमी के दिन कुछ काम करने की मनाही होती है. ये काम अशुभ माने जाते हैं और इनसे नाग देवता नाराज हो सकते हैं. कुछ ऐसे काम हैं जो इस दिन भूलकर भी नहीं करने चाहिए, जैसे:-
  • भूमि की खुदाई करना या खेत में हल चलाना
  • नुकीली और धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल करना, जैसे सूई-धागा
  • चूल्हे पर खाना बनाने के लिए तवा और लोहे की कढ़ाही का उपयोग करना
  • किसी इंसान के लिए अपने मुंह से जहर उगलना
  • लड़ाई-झगड़ा या गलत शब्द बोलना
  • पेड़-पौधे की कटाई करना
  • जमीन की खुदाई करना
  • सांपों को परेशान करना या मारना
  • घर में सांप निकलने पर उसे मारना
  • सुई-धागा का इस्तेमाल करना
  • नुकीली चीजें जैसे कैंची, चाकू आदि का इस्तेमाल करना
जिन लोगों की कुंडली में राहु-केतु भारी हैं, उन्हें इस दिन विशेष रूप से नाग देवता की पूजा करनी चाहिए.
इन कामों को करने से नाग देवता नाराज हो सकते हैं और इससे आपके जीवन में परेशानियां आ सकती हैं. इसलिए इस दिन इन कामों को करने से बचें और नाग देवता की पूजा करें ताकि वे आपके जीवन में सुख और समृद्धि ला सकें.
 

नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त

इस अवधि में आप नाग देवता की पूजा कर सकते हैं और उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं. नाग पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन लोग नाग देवता की पूजा करके उनसे अपने और अपने परिवार के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. नाग देवता को हिंदू धर्म में देवताओं का एक रूप माना जाता है. वे पृथ्वी के रक्षक माने जाते हैं और वे लोगों को बुरी शक्तियों से बचाते हैं. नाग पंचमी का पर्व नाग देवता की पूजा करने और उनसे आशीर्वाद मांगने का एक अच्छा अवसर है.

नाग पंचमी पूजन विधि (Nag Panchami Pujan Vidhi)

नाग पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन लोग नाग देवताओं की पूजा करते हैं.

नाग पंचमी पूजा विधि इस प्रकार है:
  • सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें.
  • फिर एक चौकी पर नाग देवता की मूर्ति या तस्वीर रखें.
  • मूर्ति या तस्वीर के सामने एक कलश रखें और उसमें जल भरें.
  • फिर कलश के चारों ओर चावल की एक कतार बना दें.
  • चावल की कतार के बीच में एक दीपक जलाएं.
  • अब नाग देवता को फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और दक्षिणा अर्पित करें.
  • फिर नाग देवता की आरती करें.
  • अंत में नाग देवता से अपने परिवार और घर की सुरक्षा की प्रार्थना करें.
नाग पंचमी पूजा के बाद आप नाग पंचमी की कथा सुन सकते हैं. यह कथा नाग देवताओं के बारे में है और यह बताती है कि नाग देवताओं को कैसे पूजा जाता है.

नाग पंचमी पर सर्पों की पूजा का लाभ (Nag Panchami Puja Significance)

भविष्य पुराण के अनुसार, यदि किसी की मौत सांप काटने से हो जाती है, तो उनकी मोक्ष निश्चित नहीं होती, और उन्हें मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती है। हालांकि, नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सांप के काटने का भय दूर हो जाता है, और जिन लोगों की अकाल मृत्यु होती है, उन्हें मुक्ति प्राप्त होती है।

ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने नाग पंचमी के दिन सर्पों की पूजा करने का वरदान दिया है। इस दिन, अनंत, वासुकी, तक्षक, कारकोटक और पिंगल नाग की पूजा का विधान होता है। इस पूजा से राहु-केतु जनित दोष और कालसर्प दोष को दूर किया जा सकता है, जिससे मुक्ति प्राप्त होती है।

नाग पंचमी के दिन करें ये काम

नाग पंचमी के दिन व्रत रखते समय भगवान शिव के साथ नाग देवता की पूजा करना चाहिए। नाग पंचमी के दिन विधिवत पूजा करने के साथ नाग देवता को फल, फूल, दूध, मिठाई आदि अवश्य चढ़ाएं। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष या फिर राहु-केतु संबंधी दोष है, तो नाग पंचमी के दिन इनके मंत्रों का जाप जरूर करें। नाग पंचमी के दिन तांबे के लोटे में जल या दूध लेकर नाग देवता को अर्पित करना शुभ होगा।
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं. जैसे:
  • नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है.
  • नाग देवता की पूजा करने से राहु-केतु संबंधी दोषों से मुक्ति मिलती है.
  • नाग देवता की पूजा करने से धन, समृद्धि और आरोग्य प्राप्त होता है.
  • नाग देवता की पूजा करने से बुरी शक्तियों से बचाव होता है.
  • नाग देवता की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है.

एक समय की बात है, एक गांव में एक किसान रहता था. उसके तीन बच्चे थे, दो बेटे और एक बेटी. किसान बहुत मेहनती था. वह अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए खुद हल चलाता था. एक दिन, जब किसान खेत में हल चला रहा था, तो उसने गलती से एक नागिन के अंडों को कुचल दिया. नागिन खेत में नहीं थी, लेकिन जब वह वापस लौटी तो बहुत गुस्सा हो गई. उसने किसान के दोनों बेटों को डस लिया, जिससे दोनों की मौत हो गई. नागिन किसान की बेटी को भी डसना चाहती थी, लेकिन वह घर पर नहीं थी.

अगले दिन, नागिन फिर किसान के घर आई तो देखकर बहुत हैरान हुई, क्योंकि किसान की बेटी ने नागिन के सामने एक कटोरी में दूध रख दिया था और नागिन से माफी मांग रही थी. किसान की बेटी के इस रवैये से नागिन बहुत खुश हुई और उसने दोनों भाइयों को जीवित कर दिया. ये घटना श्रावण शुक्ल की पंचमी को हुई थी.

नागिन ने किसान की बेटी से कहा, "तुमने मुझे माफ कर दिया, इसलिए मैं तुम्हारे भाइयों को जीवित कर रही हूं. लेकिन तुम्हें मुझे एक वादा करना होगा कि तुम कभी भी मेरे अंडों को नहीं कुचलोगी."

किसान की बेटी ने नागिन से वादा किया और नागिन अपने अंडों के साथ चली गई. किसान की बेटी बहुत खुश थी कि उसने अपने भाइयों को बचा लिया था. वह नागिन से माफी मांगने के लिए हर साल श्रावण शुक्ल की पंचमी को नाग पंचमी मनाती थी.
 
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एक बार एक राजा था जो वन में घूम रहा था. उसने एक सुंदर करैली देखी और उसे तोड़ने लगा. तभी वहां नाग देवता आ गए और उन्होंने राजा को रोका. उन्होंने कहा कि करैली को तोड़ना वर्जित है और राजा को इसके लिए दंडित किया जाएगा. राजा ने क्षमा मांगी और कहा कि वह करैली को रानी के लिए ले जा रहा था. नाग देवता ने राजा को करैली लेने की अनुमति दी, लेकिन उन्होंने कहा कि राजा को अपनी पहली संतान को नाग देवता को देना होगा. राजा ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया और घर लौट गया.

घर पर, राजा ने रानी को सारी बात बताई. रानी गर्भवती थी और कुछ ही महीनों बाद उसने एक बेटे और एक बेटी को जन्म दिया. नाग देवता ने बेटी को ले लिया, लेकिन उन्होंने बेटे को राजा और रानी के साथ रहने दिया.

कुछ साल बाद, राजा और रानी की मृत्यु हो गई. राजा का बेटा अब अकेला रह गया था. उसके रिश्तेदारों ने उसे लूट लिया और उसे भिखारी बना दिया. राजा का बेटा कई सालों तक भीख मांगता रहा. एक दिन, वह नाग देवता के घर पहुंचा. नाग देवता ने राजा के बेटे को पहचान लिया और उसे अपने घर ले गए. राजा का बेटा और उसकी बहन नाग देवता के घर में खुशी-खुशी रहने लगे.

तभी से, नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. नाग पंचमी के दिन, लोग नाग देवता की पूजा करते हैं और उन्हें दूध, दही, शहद और चावल का भोग लगाते हैं. लोग नाग देवता से अपनी रक्षा करने का वरदान मांगते हैं.
 

कब नहीं बनाएं रोटियाँ ?

शरद पूर्णिमा को धन की देवी लक्ष्मी का प्रकट होने का दिन माना जाता है. इस दिन घर में कच्ची रसोई निषेध है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कच्चा भोजन अशुद्ध होता है और लक्ष्मी को पसंद नहीं आता है. इसलिए इस दिन खीर और पूरी बनाई जाती है, जो पवित्र और शुद्ध भोजन माना जाता है.

शीतला अष्टमी को माता शीतला की पूजा का दिन माना जाता है. माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे बासी भोजन को पसंद करती हैं. इसलिए इस दिन ताजी रोटियां बनाना वर्जित है.

दीपावली को धन की देवी लक्ष्मी और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा का दिन माना जाता है. इस दिन खास तरह के पकवान बनाए जाते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये पकवान देवी लक्ष्मी और सरस्वती को प्रसन्न करते हैं. पकवान के साथ मिठाई और खील बताशा भी खाए जाते हैं, जो इन देवी-देवताओं को समर्पित होते हैं.

घर में किसी की मृत्यु होने पर सूतक माना जाता है. सूतक के दौरान रोटियां नहीं बनाई जाती हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रोटी बनाने से मृत व्यक्ति की आत्मा को परेशानी होती है. तेरहवीं के संस्कार हो हो जाने के बाद ही घर में रोटी बनाने का नियम है.
 
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