अमावस्या क्या है, महत्त्व क्या करे क्या नहीं Amavasya, importance, Secret in Hindi
अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार माह की ३०वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस दिन का भारतीय जनजीवन में अत्यधिक महत्त्व होता हैं। हर माह की अमावस्या को कोई न कोई पर्व अवश्य मनाया जाता हैं। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। अमावस्या और पूर्णिमा हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। वर्ष में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं। सभी का अलग-अलग महत्व होता है। अमावस्या के दिन दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है, इसीलिए उक्त दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
देव आत्माएं उत्तरायण और शुक्ल पक्ष में सक्रिय रहती हैं, जबकि दैत्य आत्माएं दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में सक्रिय रहती हैं. जब दैत्य आत्माएं अधिक सक्रिय होती हैं, तो मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का प्रभाव बढ़ जाता है. इसलिए, इन दिनों के महत्वपूर्ण दिनों में, लोगों के मन और मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ा जाता है.
यह आध्यात्मिक मान्यता है कि वर्ष और महीने के अलग-अलग समय पर विभिन्न प्रकार की आत्माएं सक्रिय होती हैं. देव आत्माएं अच्छी और उदार हैं, जबकि दैत्य आत्माएं बुरी और स्वार्थी हैं. जब देव आत्माएं अधिक सक्रिय होती हैं, तो मनुष्यों में भी अच्छे गुणों का विकास होता है, जैसे दया, करुणा और उदारता. जब दैत्य आत्माएं अधिक सक्रिय होती हैं, तो मनुष्यों में भी बुरे गुणों का विकास होता है, जैसे क्रोध, घृणा और लालच.
यह आध्यात्मिक मान्यता है कि वर्ष और महीने के अलग-अलग समय पर विभिन्न प्रकार की आत्माएं सक्रिय होती हैं. देव आत्माएं अच्छी और उदार हैं, जबकि दैत्य आत्माएं बुरी और स्वार्थी हैं. जब देव आत्माएं अधिक सक्रिय होती हैं, तो मनुष्यों में भी अच्छे गुणों का विकास होता है, जैसे दया, करुणा और उदारता. जब दैत्य आत्माएं अधिक सक्रिय होती हैं, तो मनुष्यों में भी बुरे गुणों का विकास होता है, जैसे क्रोध, घृणा और लालच.
इसलिए, इन दिनों के महत्वपूर्ण दिनों में, लोगों के मन और मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ने के लिए प्रयास किए जाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि धर्म लोगों को अच्छे गुणों को विकसित करने और बुरे गुणों को दूर करने में मदद करता है. धर्म लोगों को आत्म-नियंत्रण, समर्पण और दया सिखाता है. यह लोगों को दूसरों के प्रति दयालु और उदार होने के लिए प्रेरित करता है. यह लोगों को अपने जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है.
अमावस्या का दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्यों के लिए अधिक सक्रिय और उन्मुक्त होता है. ऐसे दिन इन आत्माओं के साथ संपर्क में आने की संभावना अधिक होती है. इसलिए, इन दिनों विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है.
मुख्य अमावस्याएँ वे अमावस्याएँ हैं जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती हैं. ये अमावस्याएँ विभिन्न देवताओं और पितरों को समर्पित होती हैं. कुछ प्रमुख अमावस्याएँ हैं:-
अमावस्या का दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्यों के लिए अधिक सक्रिय और उन्मुक्त होता है. ऐसे दिन इन आत्माओं के साथ संपर्क में आने की संभावना अधिक होती है. इसलिए, इन दिनों विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है.
मुख्य अमावस्याएँ वे अमावस्याएँ हैं जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती हैं. ये अमावस्याएँ विभिन्न देवताओं और पितरों को समर्पित होती हैं. कुछ प्रमुख अमावस्याएँ हैं:-
- भौमवती अमावस्या: यह अमावस्या पृथ्वी देवी को समर्पित है. इस दिन महिलाएँ व्रत रखती हैं और धरती माता की पूजा करती हैं.
- मौनी अमावस्या: यह अमावस्या मौन व्रत के लिए प्रसिद्ध है. इस दिन लोग पूरे दिन मौन रहते हैं और ध्यान करते हैं.
- शनि अमावस्या: यह अमावस्या शनि देव को समर्पित है. इस दिन लोग शनि देव की पूजा करते हैं और उनसे शुभ फल प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं.
- हरियाली अमावस्या: यह अमावस्या वसंत ऋतु में मनाई जाती है. इस दिन लोग पौधों को रोपित करते हैं और प्रकृति की पूजा करते हैं.
- दिवाली अमावस्या: यह अमावस्या दीपावली के दिन मनाई जाती है. इस दिन लोग दीपक जलाते हैं और लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं.
- सोमवती अमावस्या: यह अमावस्या सोमवार के दिन मनाई जाती है. इस दिन महिलाएँ व्रत रखती हैं और भगवान शिव की पूजा करती हैं.
- सर्वपितृ अमावस्या: यह अमावस्या पितरों को समर्पित है. इस दिन लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं.
अमावस्या क्या है? ( What is Amavasya? )
अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है. अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है. इस दिन लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं. अमावस्या का दिन व्रत, पूजा और दान के लिए भी अच्छा माना जाता है.
अमावस्या के दिन चंद्रमा को नहीं देखा जा सकता क्योंकि इस दिन चंद्रमा क्षीणता के उच्चतम स्तर पर होता है. चंद्रमा 28 दिनों में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है. अपनी इस परिक्रमा के दौरान 15 दिनों के लिए चंद्रमा दूसरी ओर होता है इसलिए उसे देखा जाना संभव नहीं.
अमावस्या के दिन लोग विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करते हैं. कुछ लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं, तो कुछ लोग व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं. कुछ लोग दान भी करते हैं. अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है. यह दिन लोगों को अपने आध्यात्मिक पक्ष से जुड़ने और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है.
अमावस्या का अर्थ क्या होता है? What is the meaning Amavasya?)
अमावस्या शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: अमा और वस्या. अमा का अर्थ है एकत्रित करना और वस्या का अर्थ है वास करना. इस प्रकार, अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है एक ऐसी स्थिति जिसमें सभी का वास हो.
अमावस्या को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. इस दिन लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं. अमावस्या को व्रत, पूजा और दान के लिए भी अच्छा माना जाता है.
अमावस्या के दिन चंद्रमा को नहीं देखा जा सकता क्योंकि इस दिन चंद्रमा क्षीणता के उच्चतम स्तर पर होता है. चंद्रमा 28 दिनों में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है. अपनी इस परिक्रमा के दौरान 15 दिनों के लिए चंद्रमा दूसरी ओर होता है इसलिए उसे देखा जाना संभव नहीं.
अमावस्या के दिन लोग विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करते हैं. कुछ लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं, तो कुछ लोग व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं. कुछ लोग दान भी करते हैं. अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है. यह दिन लोगों को अपने आध्यात्मिक पक्ष से जुड़ने और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है.
अमावस्या का रहस्य क्या है? ( Mystery of Amavasya )
अमावस्या का रहस्य यह है कि इस दिन चंद्रमा अपनी क्षीणता के उच्चतम स्तर पर होता है और दिखाई नहीं देता है. यह कृष्ण पक्ष के दिन होता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार एक महीने का दूसरा और आखिरी चरण होता है. अमावस्या को दैत्यों के पक्ष में माना जाता है, जो बुरी आत्माओं या प्राणियों का एक समूह है. इस दिन माना जाता है कि दैत्य अधिक सक्रिय होते हैं और मनुष्यों पर अधिक प्रभाव डालते हैं. यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से सच है जो भावुक या अस्थिर हैं. अमावस्या के दिन कई तरह के कार्यों पर प्रतिबंध लगाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि वे दैत्यों को आकर्षित कर सकते हैं या मनुष्यों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इन प्रतिबंधों में शामिल हैं:
- नए कपड़े पहनना
- नए घर में प्रवेश करना
- नए व्यवसाय शुरू करना
- शादी करना
- यात्रा करना
- नमक खरीदना
- भोजन बनाना
- पूजा करना
अमावस्या कितने प्रकार की होती है? Amavasya kitne prakar ki hoti hai?
भारत के अलग-अलग हिस्सों में अमावस्या को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. यहां कुछ आम नाम दिए गए हैं:
- सोमवती अमावस्या: यह अमावस्या सोमवार को पड़ती है और इसे पितरों को समर्पित माना जाता है.
- भौमवती अमावस्या: यह अमावस्या मंगलवार को पड़ती है और इसे महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है.
- मौनी अमावस्या: यह अमावस्या बुधवार को पड़ती है और इसे मौन रहने और दान करने के लिए दिन माना जाता है.
- शनि अमावस्या: यह अमावस्या शनिवार को पड़ती है और इसे शनि देव को समर्पित माना जाता है.
- हरियाली अमावस्या: यह अमावस्या मई या जून के महीने में पड़ती है और इसे वसंत के आगमन का प्रतीक माना जाता है.
- दिवाली अमावस्या: यह अमावस्या अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ती है और इसे दीवाली के त्योहार के साथ मनाई जाती है.
- कुश गृहिणी अमावस्या: यह अमावस्या दिसंबर या जनवरी के महीने में पड़ती है और इसे कुश घास को घर में लाने के लिए दिन माना जाता है.
- सर्वपितृ अमावस्या: यह अमावस्या पितरों को समर्पित है और इसे साल में एक बार मनाया जाता है.
अमावस्या को पूजा कैसे करें? Amavasya ko Puja Kaise karen?
आपने अमावस्या को पूजा करने के लिए कुछ सरल तरीके के बारे में पूछा है। आपके प्रश्न का उत्तर है:
अमावस्या को पूजा करने के लिए कुछ सरल तरीके हैं:-
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और व्रत रखने का मनन करें.
- सूर्य और पितृगण को पानी चढ़ाएं. इससे आपके घर में शांति और समृद्धि होगी.
- पीपल का पेड़ पूजें और उसका चक्कर लगाएं. पीपल में भगवान की शक्ति होती है.
- तुलसी का 108 बार प्रदक्षिणा करें. इससे आपको मंगलकारी फल मिलेंगे.
- भगवान विष्णु को पूजें और उन्हें हल्दी, पीला कपड़ा, संधि, सुपारी, सिन्दूर, समर्पित करें.
- घी का दिया और अगरबत्ती जलाकर प्रार्थना करें.
- पंडित को खाना खिलाएं और मुसीबत में होने वालों को मदद करें.
अमावस्या के दिन घर में क्या करना चाहिए ? Amavasya ke din kya karna chahiye ?
अमावस्या के दिन सात्विक रहकर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इससे मन को शुद्धि मिलती है और पापों से मुक्ति होती है। प्रातःकाल उठकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और भगवान विष्णु का पूजन करें। सूर्यदेव से स्वास्थ्य, प्रकाश, ज्ञान, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु से सुख, शांति, कल्याण, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष का पूजन कर उसकी परिक्रमा करनी चाहिए। पीपल में समस्त देवताओं, पितरों, और संतों का निवास होता है। पीपल की पूजा से संतान, सुख, मंगल, और मुक्ति की प्राप्ति होती है।
यहाँ अमावस्या के दिन करने के लिए कुछ उपाय दिए गए हैं:
- पीपल के पेड़ की पूजा करें.
- पीपल की जड़ को दूध, पानी, काले तिल और सफेद तिल जौ से जल अर्पित करें.
- किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन या दान दें.
- कुएं में एक चम्मच दूध डालें.
- किसी कुत्ते को तेल की रोटी खिलाएं.
- भगवान विष्णु के मंदिर में पीला ध्वज चढ़ाएं.
- सुबह और शाम घर के मंदिर में और तुलसी में दिया जलाएं.
- शनि मंदिर में जाकर शनि भगवान को कड़वा तेल, काले तिल, लोहा वाला कपड़ा और नीलेश अर्पित करें.
- शनि का पौराणिक मंत्र "ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।" की एक माला से जाप करें.
- गाय को नियमित रूप से पांच फल खिलाएं.
- तुलसी के पत्ते या बेलपत्र न तोड़ें.
- भूखे प्राणियों को भोजन खिलाएं. इस दिन मछलियों, पक्षियों, कुत्तों और अन्य जानवरों को भोजन खिलाना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से आपके पुण्य कर्म बढ़ेंगे और आपको कई लाभ मिलेंगे.
- पितरों के लिए तर्पण करें. अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण करना बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं और वे आपको आशीर्वाद देते हैं.
- दान करें. अमावस्या के दिन दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है. आप दान के रूप में भोजन, कपड़े, पैसे या अन्य वस्तुएं दे सकते हैं.
- पूजा करें. अमावस्या के दिन भगवान की पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है. आप भगवान शिव, विष्णु, कृष्ण या अन्य किसी भी देवता की पूजा कर सकते हैं.
- हवन करें. हवन एक प्राचीन भारतीय अनुष्ठान है जो अमावस्या के दिन किया जाता है. हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है और देवताओं को प्रसन्न किया जाता है.
- ध्यान करें. ध्यान एक बहुत ही अच्छा अभ्यास है जो अमावस्या के दिन किया जा सकता है. ध्यान करने से आप अपने मन को शांत कर सकते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं.
- पवित्र नदियों में स्नान करें. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से आपके पाप धुल जाते हैं और आप शुद्ध हो जाते हैं.
- सात्विक भोजन करें. अमावस्या के दिन सात्विक भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है. सात्विक भोजन से आपका शरीर स्वस्थ रहता है और आपका मन शांत रहता है.
- अच्छे कर्म करें. अमावस्या के दिन अच्छे कर्म करना बहुत शुभ माना जाता है. अच्छे कर्म करने से आपके पुण्य कर्म बढ़ते हैं और आपको कई लाभ मिलते हैं.
अमावस्या के दिन क्या ना करें? Amavasya ke din kya nahi karna chahiye ?
अमावस्या एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को मनाया जाता है. इस दिन को पितरों के लिए समर्पित माना जाता है और इस दिन लोग उनके लिए भोजन और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. अमावस्या के दिन कुछ काम करने की मनाही है, जो इस प्रकार हैं:-
- किसी दूसरे के घर में भोजन करना.
- किसी से लड़ाई-झगड़ा करना या अपशब्द कहना.
- शरीर पर तेल लगाना या तेल की मालिश करना.
- चंद्र दोष से पीड़ित लोग गाय को दही या चावल नहीं खिलाएं.
- नाखून और सर के बाल नहीं काटना.
- झाड़ू घर लाना. अमावस्या के दिन झाड़ू घर लाना अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे लक्ष्मी देवी नाराज होती हैं और घर में धन की कमी हो जाती है.
- गेहूं और आटा खरीदना. अमावस्या के दिन गेहूं और आटा खरीदना भी अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों को अपमानित किया जाता है.
- तेल लगाना. अमावस्या के दिन तेल लगाना भी अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे शनि देव नाराज होते हैं और व्यक्ति को दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है.
- शुभ कार्यों के लिए पूजन सामग्री खरीदना. अमावस्या के दिन शुभ कार्यों के लिए पूजन सामग्री खरीदना भी अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों को अपमानित किया जाता है.
- मांस और शराब पीना. अमावस्या के दिन मांस और शराब पीना भी अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों को अपमानित किया जाता है और व्यक्ति को दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है.
- झाड़ू: झाड़ू को देवी लक्ष्मी से जोड़ा जाता है, इसलिए अमावस्या के दिन झाड़ू खरीदने से लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं. इससे घर में धन का प्रवाह रुक सकता है.
शराब: अमावस्या का शनि देव से संबंध है, इसलिए इस दिन शराब खरीदने और पीने से बचना चाहिए. इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है. - मांस: मांस को अशुद्ध माना जाता है, इसलिए अमावस्या के दिन मांस खरीदने और खाने से बचना चाहिए.
- आटा: अमावस्या के दिन आटा खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से आपके विरासत में आने वाले धन को नुकसान हो सकता है.
- तेल: अमावस्या के दिन तेल खरीदने और लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है.
- पूजा सामग्री: अमावस्या के दिन पूजा सामग्री खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पितृगण नाराज हो सकते हैं.