पढ़ि गुणि पाठक भये समुझाये संसार हिंदी मीनिंग Padhi Guni Pathak Meaning

पढ़ि गुणि पाठक भये समुझाये संसार हिंदी मीनिंग Padhi Guni Pathak Meaning : kabir Ke Dohe Ka Hindi Arth/Bhavarth

पढ़ि गुणि पाठक भये, समुझाये संसार
आपन तो समुझे नहीं, बृथा गया अवतार।

Padhi Guni Pathak Bhaye Samujhaye Sansar,
Aapan To Samujhe Nahi, Vritha Gaya Avtar.
 
पढ़ि गुणि पाठक भये समुझाये संसार हिंदी मीनिंग Padhi Guni Pathak Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

कबीर साहेब कहते हैं की लोग धार्मिक किताबों को पढ़कर और उसपर विचार करके पाठक बन गए हैं और विद्वान हो गए हैं और सारे संसार को समझाने में व्यस्त हैं। लेकिन सत्य है की वे स्वंय ही समझ नहीं पा रहे हैं की सत्य और ज्ञान क्या है ? ऐसे में उनका जन्म व्यर्थ हो गया है। आशय है की उन्होंने कभी ज्ञान को प्राप्त किया ही नहीं है ऐसे में वे अपने जीवन के उद्देश्य को विस्मृत करके अपने जीवन को उन्होंने व्यर्थ ही गँवा दिया है। पढ़ लिखकर लोग विद्वान बन गए हैं, वे स्वंय को ग्यानी समझने लगे हैं, उन्होंने किताबी ज्ञान को प्राप्त कर लिया है और स्वंय को ग्यानी समझने लगे हैं, और वे अर्जित ज्ञान को सम्पूर्ण संसार को समझाने में लगे हैं. लेकिन उन्होंने स्वंय को समझा नहीं है, जाना नहीं है. ऐसे में उनका मानव जीवन में जन्म लेना व्यर्थ ही चला गया है।
कबीर साहेब ज्ञान और आत्मज्ञान के महत्व पर चर्चा करते हैं। वे कहते हैं कि ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है, लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि हम स्वयं को समझें। कबीर साहेब कहते हैं कि कई लोग पढ़ाई-लिखाई और विचार-विमर्श के माध्यम से विद्वान बन जाते हैं। वे संपूर्ण विश्व को समझाने लगते हैं। लेकिन, वे स्वयं को नहीं समझते हैं। उनका जन्म व्यर्थ चला जाता है।
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