कबीर औधि खोपड़ी कबहुँ धापै नाहि मीनिंग Kabir Audhi Khopadi Kabahu Dhape Nahi Meaning
कबीर औधि खोपड़ी, कबहुँ धापै नाहि
तीन लोक की सम्पदा, का आवै घर माहि।
Kabir Aoudhi Khopadi, Kabahu Dhape Nahi,
Teen Lok Ki Sampada, Ka Aave Ghar Mahi.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
संत शिरोमणि कबीरदास जी का कथन है कि मनुष्य की खोपड़ी उल्टी होती है, वह कुबुद्धि वाला होता है क्योंकि वह कभी भी धन प्राप्ति से संतुष्ट नहीं होता है, उसे अधिक से अधिक धन चाहिए, वह माया अर्जित करने की दौड़ में लगा रहता है। वह अपना पूरा जीवन इस आशा में नष्ट कर देता है कि तीनों लोकों की संपदा उसके घर कब आयेगी और वह अधिक की चाहना में लगा रहता है।कबीर साहेब ने इस दोहे में सन्देश दिया है की मनुष्य कभी भी लालच और तृष्णा से संतुष्ट नहीं होता है। मानव को कबीर साहेब ने औंधी (उलटी) खोपड़ी कहा है। वह कभी भी माया से संतुष्ट नहीं होता है और अधिक माया के संग्रह के लिए प्रयत्नशील रहता है। यदि उसे तीन लोक की सम्पदा/धन दौलत भी मिल जाए तो भी वह भटकता ही रहता है।संत शिरोमणि कबीरदास जी ने मनुष्य के लालच और लोभ को बहुत ही अच्छे ढंग से समझा था. उन्होंने कहा है कि मनुष्य की खोपड़ी उल्टी होती है क्योंकि वह कभी भी धन प्राप्ति से संतुष्ट नहीं होता है और वह निरंतर अधिक की आशा करता है. वह अपना पूरा जीवन इस आशा में नष्ट कर देता है कि तीनों लोकों की संपदा कैसे भी करके उसके घर पर आ जाए.
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- पहली बुरा कमाइ करि मीनिंग Pahali Bura Kamaai Kari Bandhi Vish Ki Pot Meaning
- राम पियारा छाड़ि करि मीनिंग Raam Piyara Chhadi Kari Hindi Meaning Kabir Ke Dohe
- जिहि हरि जैसा जाणियाँ मीनिंग Jihi Hari Jaisa Jaaniya Meaning Kabir Dohe
- जानंता बुझा नहीं बुझि लिया नहि गौन मीनिंग Janata Bujha Nahi Meaning Kabir Dohe