अरु धर लाल लंगूर कर अर्जी मंजूर
अरु धर लाल लंगूर कर अर्जी मंजूर
अरु धर लाल लंगूर,
कर अर्जी मंजूर,
तेरे द्वार पै
भगत खड़ा।
जो तू चाहवेगा,
बस वो ही होना सै,
मैं सब कुछ खो बैठ्या,
बस आपा खोना सै,
मेरी जब तक पेश चली,
हे बजरंग बली,
मैं दुनियादारी तै
घणा लड़्या,
घणा लड़्या।
मैं सुन कै तेरा नाम,
आ गया मेहंदीपुर धाम,
तेरा चमत्कार देख्या,
होता मनै सरेआम,
जब मिले तेरे तै नैन,
मैं हो गया तेरा फैन,
इस दीदार का
नशा चढ़्या,
नशा चढ़्या।
मेरी चारूं कानी तै
फंसी विपत्त मैं जान,
तू सब कुछ जाणे सै,
हे बाला जी भगवान,
तेरे हाथ मैं मेरी लाज,
हे कलयुग के सरताज,
मनै बचा ले नै
शरण पड़ा,
शरण पड़ा।
मेरे गुरु सुरेंद्र की
सै सबसे न्यारी बात,
आशीष कौशिक भी
तन्ने ध्यावे सै दिन-रात,
धर कै तेरा ध्यान,
हे राम-भगत हनुमान,
यो संजीत नै
छंद घड़्या,
छंद घड़्या।
अरु धर लाल लंगूर,
कर अर्जी मंजूर,
तेरे द्वार पै
भगत खड़ा।
कर अर्जी मंजूर,
तेरे द्वार पै
भगत खड़ा।
जो तू चाहवेगा,
बस वो ही होना सै,
मैं सब कुछ खो बैठ्या,
बस आपा खोना सै,
मेरी जब तक पेश चली,
हे बजरंग बली,
मैं दुनियादारी तै
घणा लड़्या,
घणा लड़्या।
मैं सुन कै तेरा नाम,
आ गया मेहंदीपुर धाम,
तेरा चमत्कार देख्या,
होता मनै सरेआम,
जब मिले तेरे तै नैन,
मैं हो गया तेरा फैन,
इस दीदार का
नशा चढ़्या,
नशा चढ़्या।
मेरी चारूं कानी तै
फंसी विपत्त मैं जान,
तू सब कुछ जाणे सै,
हे बाला जी भगवान,
तेरे हाथ मैं मेरी लाज,
हे कलयुग के सरताज,
मनै बचा ले नै
शरण पड़ा,
शरण पड़ा।
मेरे गुरु सुरेंद्र की
सै सबसे न्यारी बात,
आशीष कौशिक भी
तन्ने ध्यावे सै दिन-रात,
धर कै तेरा ध्यान,
हे राम-भगत हनुमान,
यो संजीत नै
छंद घड़्या,
छंद घड़्या।
अरु धर लाल लंगूर,
कर अर्जी मंजूर,
तेरे द्वार पै
भगत खड़ा।
Ardhar Lal Langur Kar Arji Manjur
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Author - Saroj Jangir
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