देखौ कर्म कबीर का मीनिंग Dekho Karam Kabir Ka Meaning Ke Dohe HIndi Arth Sahit
देखौ कर्म कबीर का, कछु पूरब जनम का लेख।
जाका महल न मुनि लहैं, सो दोसत किया अलेख॥
Dekho Karam Kabir Ka, Kachhu Purab Janam Ka Lekh,
Jaka Maha Na Muni Lahe, So Dosat Kiya Alekh.- कर्म : सुकर्म, अच्छे कार्यों का फल.
- कछु : कुछ.
- पूरब जनम का लेख : पूर्व जन्मों का सुकर्मों का लेख, फल.
- जाका महल : जिनका दरबार, स्थान.
- न मुनि लहैं : सुर मुनि भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं.
- सो : वे.
- दोसत : दोस्त, मित्र.
- अलेख : अभिन्न, एकाकार, अलक्ष्य.
कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha/Sakhi Hindi Word Meaning
कबीर साहेब कहते हैं की मेरे पूर्व कर्मों का लेख देखो, उस अलख का महल सुर मुनि आदि भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं उसे कबीर साहेब ने बड़ी ही सहजता के साथ प्राप्त कर लिया है, उसे कबीर ने अपना दोस्त बना लिया है. इस साखी का भाव है की सुकर्मों के फल के कारन इश्वर की प्राप्ति संभव हो पाती है. इससे कबीर साहेब की कर्मों के फल, पूर्व जन्म की अवधारणा का परिचय मिलता है. इस साखी में सबंधातिस्योक्ति अलंकार की सफल व्यंजना द्रष्टिगत होती है.
उल्लेखनीय है की साहेब ने अनेकों स्थान पर सहज भक्ति पर बल दिया है. उन्होंने इश्वर को जहाँ अनिर्वचनीय कहा है वहीँ पर सहज भक्ति से इसे पाना बहुत ही आसान कहा है. लोकाचार, शास्त्राचार, जप तप तीर्थ आदि कर्मकांडों से इश्वर की प्राप्ति संभव नहीं हो पाती है. सहज मन से पवित्र मन से इश्वर का सुमिरण ही उसे प्राप्त करने का सुगम माध्यम है. हृदय पवित्र होना चाहिए, सत्य के मार्ग का अनुसरण करना ही भक्ति का मार्ग है.
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