वो काला एक बांसुरी वाला सुध बिसरा गया मोरी रे लिरिक्स अनूप जलोटा
वो काला एक बांसुरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरी रे,
माखन चोर वो नंदकिशोर जो,
कर गयो मन की चोरी रे।
पनघट पे मोरी बैंया मरोड़ी,
मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी,
पैंया परूं करूं विनती मैं पर,
माने ना वो एक मोरी रे।
छुप गयो फिर एक तान सुना के,
कहां गयो एक बाण चला के,
गोकुल ढूंढा मैंने मथुरा ढूंढी,
कोई नगरिया ना छोड़ी रे।
वो काला एक बांसुरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरी रे,
माखन चोर वो नंदकिशोर जो,
कर गयो मन की चोरी रे।
Woh kala ek bansuri wala - Anup Jalota
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