जहाँ दया तहा धर्म है जहाँ लोभ वहां पाप हिंदी मीनिंग Jaha Daya Taha Dharm Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप ।जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप ।
Jaha Daya Taha Dharm Hai, Jaha Lobh Vaha Paap,
Jaha Krodh Taha Kaal hai, Jaha Kshama Vaha Aap.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
दया और धर्म के विषय में कबीर साहेब का कथन है की जहाँ पर दया भाव होता है वहीँ पर धर्म होता है। इसके अतिरिक्त जहाँ पर लोभ होता है वहां पर पाप का भाव होता है। जहाँ पर क्रोध का भाव होता है वहीँ पर काल होता है। इसके अतिरिक्त जहाँ पर क्षमा का भाव होता है वहीँ पर ईश्वर का वास होता है। इस दोहे का अर्थ है कि जहाँ दया होती है, वहाँ धर्म होता है। जहाँ लोभ होता है, वहाँ पाप होता है। जहाँ क्रोध होता है, वहाँ काल होता है। और जहाँ क्षमा होती है, वहाँ आप होते हैं। दया, लोभ, क्रोध और क्षमा ये चार मानवीय गुण हैं। दया एक सकारात्मक गुण है, जबकि लोभ, क्रोध और क्षमा नकारात्मक गुण हैं। दया से धर्म की प्राप्ति होती है, लोभ से पाप की, क्रोध से काल का आगमन होता है, और क्षमा से आप स्वयं बन जाते हैं।
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