कबीर दुबिधा दूरि करि एक अंग ह्वै लागि हिंदी मीनिंग Kabir Duvidha Duri Kari Meaning : Kabir Ke Dohe hindi Arth/Bhavarth Sahit
कबीर दुबिधा दूरि करि,एक अंग ह्वै लागि।यहु सीतल बहु तपति है, दोऊ कहिये आगि॥
Kabir Duvidha Duri Kar, Ek Ang Vhe Lagi,
Yahu Sheetal Bahu Tapati Hai, Dou Kahiye Aagi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की हे जीवात्मा तुम इस दुविधा को दूर कर दो, इधर उधर की बातें मत करो। तुम एक ही पूर्ण ब्रह्म के प्रति समर्पित हो जाओ। वह शीतल और तप्त दोनों ही है। साधक को दोनों के अति मार्ग को छोड़कर मध्यम मार्ग का अनुसरण करना चाहिए. दुविधा और दोयम का भाव साधक को इश्वर से दूर करता है, इसलिए उसे पूर्ण रूप से भक्ति मार्ग का अनुसरण करना चाहिए.
In this couplet, Kabir Sahib imparts the message: "O soul, dispel this duality, refrain from worldly chatter. Surrender yourself solely to the Supreme Being. It is both cool and warm. Abandoning the extremes, follow the middle path."
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