रात गंवाई सोय के दिवस गंवाया खाय हिंदी मीनिंग Raat Gavai Soy Ke Meaning

रात गंवाई सोय के दिवस गंवाया खाय हिंदी मीनिंग Raat Gavai Soy Ke Meaning : Kabir Ke Dohe/Hindi Bhavarth

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय।
हीरा जन्म अनमोल था, कोड़ी बदले जाय॥
 
Raat Gavai Soy Ke, Divas Gavaya Khay,
Heera Janam Anmol Tha, Koudi Badale Jaay.
 
रात गंवाई सोय के दिवस गंवाया खाय हिंदी मीनिंग

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

व्यक्ति मानव जीवन के महत्त्व को समझता नहीं है और इसे मायाजनित व्यवहार में व्यर्थ में ही गँवा देता है। इसके सम्बद्ध में कबीर साहेब कहते हैं की व्यक्ति रात को निंद्रा में और दिवस को खाने पीने में गँवा देता है। ऐसे में वह अनमोल हीरे जैसे मानव जीवन को कौड़ी में बदल देता है। आशय है की वह मानव जीवन के महत्त्व को समझ नहीं पाता है। कबीर इस दोहे में मानव जीवन की व्यर्थता को उजागर करते हैं। वे कहते हैं कि मनुष्य अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय, रात को सोने में और दिन को खाने-पीने में बर्बाद कर देता है। जबकि मानव जीवन एक हीरे की तरह अनमोल है, लेकिन मनुष्य इसे एक कौड़ी के बदले भी बेच देता है।

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