
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
इस दोहे में कबीर साहेब का कथन है की हम जैसा करेंगे वैसा ही फल पाएंगे। कर्मों का फल सभी को मिलता है, ऐसे में पछताने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। जब हम बबूल का पेड़ बोते हैं तो आम कैसे पैदा हो सकते हैं। मूल भाव है की बुरे कर्मों का बुरा ही परिणाम होता है। कबीर के अनुसार, कर्मों का फल निश्चित है। यदि आप अच्छे कर्म करते हैं, तो आपको अच्छा फल मिलेगा। और यदि आप बुरे कर्म करते हैं, तो आपको बुरा फल मिलेगा। इस दोहे का मूल संदेश यह है कि हमें अपने कर्मों के प्रति जागरूक होना चाहिए। हमें अच्छे कर्म करने चाहिए और बुरे कर्मों से बचना चाहिए।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |