साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय मीनिंग

साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय हिंदी मीनिंग

साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार सार को गहि रहे,थोथा देई उड़ाय ।।
 
Sadhu Aisa Chahiye Jaisa Soop Subhay,
Sar Sar Ko Gahi Rahe, Thotha Dei Uday.
 
 
साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय हिंदी मीनिंग Sadhu Aisa Chahiye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ)

कबीर साहेब इस दोहे में साधुजन के विषय में सन्देश देते हैं की साधू ऐसा होना चाहिए जैसे की अनाज साफ़ करने का सूप होता है। सूप अनाज को अलग करके थोथे/कचरे को अलग करके उड़ा देता है। आशय है की साधुजन व्यक्ति के अवगुणों को दूर कर देता है। व्यक्ति के अवगुणों को चिन्हित करके वह व्यक्ति को भक्ति के लिए अग्रसर करता है। 
 
कबीर दास जी इस दोहे में एक सज्जन व्यक्ति के आदर्श स्वभाव की चर्चा कर रहे हैं। वे कहते हैं कि एक सज्जन व्यक्ति का स्वभाव ऐसा होना चाहिए जो अनाज को साफ़ करने वाले सूप के समान हो। जिस तरह सूप अनाज में से थोथे कणों को उड़ा देता है और केवल अच्छा अनाज अपने पास रखता है, उसी प्रकार एक सज्जन व्यक्ति को भी दूसरों की अच्छाई को देखना चाहिए और उनकी बुराइयों को दूर करना चाहिए।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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