तिनका कबहुँ ना निंदिये जो पाँव तले होय मीनिंग Tinaka Kabahu Na Nindiye Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit.
तिनका कबहुँ ना निंदिये, जो पाँव तले होय।कबहुँ उड़ आँखों पड़े, पीर घनेरी होय।
Tinak Kabahu Na Nidiye, Jo Paanv Tale Hoy,
Kabahu Ud Aankho Pade, Peer Ghaneri Hoy.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
तिनके का भी कभी निरादर, निंदा नहीं करनी चाहिए जो की पांवों के नीचे होता है। पाँव के तले दबा तिनका जब उड़कर आँख में गिर जाता है तो बहुत अधिक पीड़ा होती है। इस दोहे में कबीर दास जी यह शिक्षा देते हैं कि हमें किसी भी व्यक्ति या वस्तु की निंदा नहीं करनी चाहिए, चाहे वह कितनी भी छोटी या तुच्छ क्यों न लगती हो। क्योंकि कभी-कभी वही छोटी चीज बड़ी मुसीबत का कारण बन सकती है।
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