मुझ अबला ने मोटी नीरांत थई रे मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics, Mujh Abala Ne Moti Nirant Thayi Lyrics
मुझ अबला ने मोटी नीरांत थई रेमुझ अबला ने मोटी नीरांत थई रे।
छामलो घरेणु मारे सांचुँ रे।।टेक।।
बाली घड़ावुँ बिट्ठल बर वेरी, हार हरि नो मारे हैये रे।
चित्त माला चतुरमुज चुड़लो, शिद सोनी घरे जइये रे।
झांझरिया जगजीवन केरा, कृष्णाजी कड़ला ने कांवी रे।
बिछिया घुंघरा रामनारायण ना अणवट अन्तरजामी रे।
पेटी घड़ावुँ पुरूषोत्तम केरी, त्रीकम नाम नूं तालूँ रे।
कूची कराबूँ करूणानन्द केरी, तेमां घरेणु मांरूँ घालुँ रे।
सासर वासो सजी से बैठी, हवे नथी कँई कांचूँ रे।
मीरां कहे प्रभु गिरधरनागर, हरिने चरण जाचूँ रे।।
मीरा बाई के पड़ के शब्दार्थ हिंदी Meera Bai Pad Hindi Shabdarth
मुझ अबला ने मोटी निरांत थई हिंदी अर्थ/मीनिंग (मीराबाई पदावली)
बाई मीरा का मानना है की मुझ अबला को पूर्ण रूप से भरोसा हो गया है की श्याम का घर, श्री कृष्ण अब उनके स्वामी बन चुके हैं, उनका घर अब उसका है। इस अवसर पर मैं कानों की बालियां बनवाऊंगी और मेरे स्वामी/पति विट्ठल (श्री कृष्ण) हैं। हरी के नाम का हार तो पहले से ही मेरे पास है। चित्त में, हृदय में हरी की माला और चतुर्भुज चूड़ियां किसी सिद्ध/निपुण स्वर्णकार (सोनी) के घर पर जाकर में घड़वाउंगी। मेरे गले में हरी के नाम की कंठी है। मैं कैसा कमरबंद घड़वाऊं ? त्रीकम नाम का ताला है। इसकी चाबी मैं बनवाऊंगी, तो कैसी। तुम्हारे घर पर मैं जाउंगी। ससुराल के लिए मैं तो सज धज कर बैठी हूँ।
मुझ अबला : मैं असहाय औरत.
मोटी : पूर्णतः, सम्पूर्ण पूरा,
नीराँत : भरोसा, यकीन
थई : हुआ है, हो गया है.
छामलो : श्यामलो, श्री कृष्ण .
हैये रे : है ही, पहले से ही है, श्री कृष्ण नाम रूपी हार बाई ने पहले से ही गले में धारण कर रखा है.
घरेणु : घर / श्याम का घर.
मारे : म्हारे / मेरे.
साँचुँ : पधारा, आगमन, आया.
बाली घड़ाबुँ : कान की बालियां बनवाऊँ/घड्वाऊ
बाली घड़ाबुँ : कान की बालियां बनवाऊँ/घड्वाऊ
विट्ठल वर : कृष्ण रूपी पति,
शिद सोनी : सिद्ध, निपुण सुनार, सोने का आभूषण बनाने वाला.
जइये : जाकर,
जइये : जाकर,
चीन : चिंतामणि
झांझरिया : एक प्रकार का पैर का आभुषण, पायजेब.
कड़ालने काँवी : कड़ा और पैर का एक आभूषण,
बिछिया : पैर की अंगुली में पहने जाने वाली रिंग, आभूषण,
बिछिया : पैर की अंगुली में पहने जाने वाली रिंग, आभूषण,
अणवट : पैर के अंगूठे का छल्ला,
पेटी : कमर बन्द,
त्रीकम : त्रिविक्रम,
नामा नूं : नाम का,
तालुं : ताला, लॉक
कूंची : ताली, चाबी.
सासर : सुसराल,
कांचूं : चोली,
कांचूं : चोली,
कँई : कोई
किस्न : श्री कृष्ण।
गलाँरी : गले की.
बिछुवा : पाँव का एक गहना, पैर की अंगुली की रिंग/अंगूठी
घुंघरा : पांवों के घुंघरू.
टीकम : त्रिविक्रम।
नामनूँ : नाम की।
कूँची : कुंजी।
घैणानु : गहनों को।
मारूँ : बन्द कर दूँ।
सासर वासो : ससुराल में, प्रियतम के घर।
सजीने : सजधज कर।
हवे : अब। नथी : नहीं है।
काँचू : चोली।
काई : कोई।
सजीने : सजकर।
गलाँरी : गले की.
बिछुवा : पाँव का एक गहना, पैर की अंगुली की रिंग/अंगूठी
घुंघरा : पांवों के घुंघरू.
टीकम : त्रिविक्रम।
नामनूँ : नाम की।
कूँची : कुंजी।
घैणानु : गहनों को।
मारूँ : बन्द कर दूँ।
सासर वासो : ससुराल में, प्रियतम के घर।
सजीने : सजधज कर।
हवे : अब। नथी : नहीं है।
काँचू : चोली।
काई : कोई।
सजीने : सजकर।
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Muj Abala Ne Moti Nirant Bai
मुझ अबला ने मोटी नीरांत थई रे लिरिक्स Mujh Abala Ne Moti Nirant Lyrics
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आपने मंदिरमों बैठ बैठकर। गीता भागवत बाचूंगी॥१॥
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर। हरीहर संग मैं लागूंगी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सदा प्रेमरस चाखुंगी॥३॥
तो सांवरे के रंग राची।
साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू, लोक-लाज तजि नाची।।
गई कुमति, लई साधुकी संगति, भगत, रूप भै सांची।
गाय गाय हरिके गुण निस दिन, कालब्यालसूँ बांची।।
उण बिन सब जग खारो लागत, और बात सब कांची।
मीरा श्रीगिरधरन लालसूँ, भगति रसीली जांची।।
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